कैसी कैसी कुर्बानी हैं ये देते,
जाने किस माटी के हैं ये बने ?
क्या खाया होगा इनकी वीर मां ने,
जो ऐसे जां बाज़ बेटे है जन्मे ?

बचपन से ही होते हैं कुछ अलग,
जब सब खेल रहे होते मैदानों में ,
ये शहीदों की गाथाएँ सुनते चौपालों में।
जब सब सोते मां की गोद में,
ये बातें छेड़ते धरती मां के आंचल की।

इन्हें दिखता तिरंगा कुछ अलग और अनोखा सा,
तिरंगे की शान में सर झुक जाता इनका।
लड़ जाया करते हैं हर उस शख्स से जो तिरंगे का अपमान करे,
चलते हैं सर पर कफ़न ओढ़े,
जब जब धरती मां फरमान करे।
फ़ौज हो या ज़िंदगी,ये हारते नहीं,
किसी भी मुश्किल को कभी ये मुश्किल मानते नहीं।
हर दुश्मन पर चढ़ जाएं,
आये अगर आँसू तो हंस हंस कर पी जाएं।
डर का सामना हंसते हंसते कर जाएं,
परिवार ज़रूर प्यारा है इनको, लेकिन देशप्रेम के आगे कोई न टिक पाए।
Obligation comes first, कहके सरहद पर बेखौफ़ ये निकल जाए
बूढ़े मां बाप, नई ब्याहता,छोटा बच्चा कोई न इन को रोक पाए।
ना जाने किस मिट्टी के है बने,
गोली से नहीं डरते, सुई से कतराएं।

नमन है मेरे फौजी भाइयों को, आज कल और हमेशा….
आज है दिवस विजय का, उल्लास का।
आज है दिवस वीरों के इतिहास का।
एक आँख रोई तो दूसरी ख़ुशी के गीत सजाये
कई भाई चले गए, कई लौट के वापस आये।
आओ मिल कर दें हम श्रद्धांजलि उन सब वीर जवानों को।
आओ ये वादा करें, कभी ना भूलें उनके बलिदानों को।
जय हिंद
एकता सहगल मल्होत्रा

Share.
Leave A Reply Cancel Reply
Exit mobile version