मणिपुर में इन दिनों असम राइफल्स को लेकर लोगो के बीच रोष देखने को मिल रहा है l असम में पुलिस और असम राइफल्स के बीच तकरार बढ़ती नजर आ रही है l मणिपुर पुलिस ने 9 असम राइफल्स के जवानों पर ऑपरेशन में बाधा डालने के आरोप में FIR दर्ज की है l पुलिस का आरोप है कि असम राइफल्स में उग्रवादियों को शामिल कर लिया गया है जो कि अब पुलिस के काम में बाधा डाल रहे है l वहीं मणिपुर भाजपा ने भी असम राइफल्स को हटाने के लिए प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा है l

बता दें कि मैतेई समुदाय से जुड़े तीन लोगों की हत्या होने के बाद बिष्णुपुर जिले के क्वाक्ता इलाके में हिंसा भड़क गई थी l जिसके बाद पुलिस ने कुकी हमलावरों के खिलाफ ऑपरेशन चलाया था l इसी ऑपरेशन में असम राइफल्स पर बाधा डालने का आरोप है l एक तरफ तो पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है वहीं दूसरी ओर अब पुलिस और सुरक्षाबलों के बीच भी बहसबाजी होने लगी है l सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मणिपुर पुलिस ने अब असम राइफल्स के जवानों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है l

असम राइफल्स के खिलाफ प्रदर्शन

बता दें कि इसी बीच राजधानी इंफाल में मैतेई महिलाओं ने असम राइफल्स के खिलाफ प्रदर्शन भी किया l यह प्रदर्शन राजधानी के मीरा पैबीस इलाके में हुआ l महिलाएं इलाके से असम राइफल्स के जवानों को हटाने की मांग पर अड़ी थीं l इसके बाद बिष्णुपुर और कांगवाइ के बीच मोइरंग चेक पोस्ट को हटा लिया गया l

क्या है पुलिस का आरोप

पुलिस का कहना है कि पुलिस ऑपरेशन के दौरान असम राइफल्स ने बीच में अपने वाहन खड़े कर दिए l इसके बाद कुकी उग्रवादी वहां से भाग निकले उन्हें पकड़ा नहीं जा सका l इसी मामले को लेकर पुलिस ने FIR दर्ज की है l वही कुछ समय पहले भी सोशल मीडिया पर पुलिस और असम राइफल्स के जवान के बीच बहस का वीडियो वायरल हुआ था l पुलिस कर्मी कह रहे थे कि असम राइफल्स उनके काम में रुकावट डाल रहे है l वहीं दूसरी तरफ जवान का कहना है कि वह केवल अपनी ड्यूटी कर रहे है l

गृहमंत्री से मिलने का इंतजार करते रहे कुकी नेता

बता दें कि मंगलवार को कुकी नेताओं और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बीच मुलाकात होनी थी, परन्तु उनकी मुलाकात अधूरी रह गयी l इंडीजिनियस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) के प्रवक्ता गिन्जा वुअलजोंग ने ऑफ रिकॉर्ड बताया कि एक मीटिंग होनी थी, जिसमें आईबी के ज्वॉइंट डायरेक्टर भी थे हमसे कहा गया था कि शाम साढ़े छह बजे आकर गृहमंत्री से मुलाकात का समय तय कर लें l उन्होंने बताया कि गृहमंत्री ने हमें मिलने बुलाया था, क्योंकि उन्होंने हमें अपने लोगों को दफ्नाने से रोक दिया था l गृहमंत्री ने कहा था कि वो सात दिन बाद दफ्नाने की जगह देंगे l उन्होंने बताया कि हमारी चार प्रमुख मांगे हैं l पहली- मणिपुर से अलग दर्जा, दूसरी- इंफाल जेल से आदिवासी कैदियों की रिहाई, तीसरी- इंफाल घाटी से आदिवासियों के शवों को पहाड़ियों पर लाना और चौथी- पहाड़ी में तैनात सुरक्षाबलों को हटाना l

मैतेई क्यों मांग रहे जनजाति का दर्जा?

बता दें कि मणिपुर में मैतेई समुदाय की आबादी 53 फीसदी से अधिक है l यह गैर-जनजाति समुदाय है, जिनमें अधिकतम हिंदू हैं l वहीं, कुकी और नगा की आबादी लगभग 40 फीसदी के आसापास है l राज्य में इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में ही बस सकते हैं l मणिपुर का 90 फीसदी से ज्यादा इलाकी पहाड़ी है l सिर्फ 10 फीसदी ही घाटी है l पहाड़ी इलाकों पर नगा और कुकी समुदाय का तो घाटी में मैतेई का दबदबा है l

आपको बता दें कि मणिपुर में एक ऐसा कानून है जिसके तहत घाटी में बसे मैतेई समुदाय के लोग पहाड़ी इलाकों में न बस सकते हैं और न जमीन खरीद सकते हैं l परन्तु पहाड़ी इलाकों में बसे जनजाति समुदाय के कुकी और नगा घाटी में बस भी सकते हैं और जमीन भी खरीद सकते हैं l पूरा मसला इस बात पर है कि 53 फीसदी से ज्यादा आबादी सिर्फ 10 फीसदी इलाके में रह सकती है, लेकिन 40 फीसदी आबादी का दबदबा 90 फीसदी से ज्यादा इलाके पर है l

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