बदलते मौसम का स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है l मॉनसून एवं मॉनसून के बाद मच्छरों की तादाद अचानक से बढ़ने लगती है। मौसम के ठंडा होने के कारण मच्छरों की संख्या भी बढ़ जाती हैं l बता दें कि प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग ने मलेरिया की जांच दर लगभग दोगुनी कर दी है l इस बीमारी से संक्रमित होने वालों की संख्या एक चौथाई रह गई है। मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य वर्ष 2027 निर्धारित है। इसी के मद्देनजर हर वर्ष एक से 30 जून तक मलेरिया रोधी माह मनाया जाता है।

मलेरिया :-

मलेरिया के मच्छर के काटने की वजह से व्यक्ति को बुखार और सिर दर्द होना शुरू हो जाता है l मलेरिया में बुखार कभी कम हो जाता है तो कभी ज्यादा हो जाता है l मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने पर परजीवी के शरीर में प्रवेश करने के बाद 14 से 21 दिन के अंदर बुखार आता है l मलेरिया सहारा अफ्रीका और एशिया के ज्यादातर  देशों में पाया जाता है l WHO के अनुसार मलेरिया के दक्षिण पूर्व एशिया में कुल 77% मामले भारत देश में है और गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, गोवा, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, दक्षिणी मध्यप्रदेश और पूर्वोत्तर राज्यों में मलेरिया का संक्रमण अधिक है l मलेरिया रोधी माह में लोगों को अलग-अलग तरीकों से मलेरिया बीमारी के बारे में जागरूक किया जाता है। मलेरिया के रोगियों की संख्या भी दिन प्रतिदिन कम होती दिख रही है।

उत्तर प्रदेश में मलेरिया संक्रमित मरीजो के आंकड़े :-

वर्ष 2020 में 27,76,349 लोगों की मलेरिया की जांच हुई। वहीं जांच की संख्या दोगुनी बढ़ाते हुए वर्ष 2022 में 83,22,741 लोगों की जांच की गई। इस बीमारी से वर्ष 2020 में 28668 लोग संक्रमित हुए थे जबकि वर्ष 2022 में यह संख्या घटकर 7039 हो गई। वर्ष 2019 में 58,54,414, वर्ष 2021 में 42,45,089 लोगों की मलेरिया की जांच हुई। वर्ष 2019 में कुल 92,732 और वर्ष 2021 में 10792 लोग मलेरिया संक्रमित मिले थे।

गतिविधियां :-

बता दें कि गांवों में ग्रामीण स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समिति के माध्यम से रोग से बचाव, उपचार और समय से रोगी का संदर्भन किया जाएगा। साथ ही ज्यादा मच्छर वाले इलाकों की सूची बनाकर दवा का छिड़काव और इलाके व मरीज की सतत निगरानी की जाएगी। हर रविवार, मच्छर पर वार अभियान को और प्रभावशाली बनाया जाएगा। स्वास्थ्य टीम के जरिए जांच की दर और बढ़ाई जाएगी। साथ ही मरीज का समय से इलाज शुरू करना सुनिश्चित जाएगा।

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