नई दिल्ली, दिनांक 11 अक्टूबर 2025 भगवान महावीर देशना फाउंडेशन (BMDF) ने भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को एक औपचारिक प्रतिनिधित्व (representation) प्रस्तुत किया है, जिसमें पशु-अवशेषों (मांस, हड्डियों, रक्त, मछली आदि) से बने जैविक खादों के उपयोग पर रोक लगाने और पौध-आधारित वैकल्पिक खादों को बढ़ावा देने की मांग की गई है। फाउंडेशन के निदेशक श्री मनोज कुमार जैन (पार्षद, एमसीडी, नई दिल्ली) ने बताया कि हाल के वर्षों में “ऑर्गेनिक” या “नेचुरल” खेती के नाम पर ऐसे खादों का प्रयोग बढ़ता जा रहा है, जो मांसाहारी स्रोतों से तैयार किए जाते हैं। यह प्रवृत्ति करोड़ों शाकाहारी, जैन, वैष्णव, सिख, बौद्ध एवं वेगन नागरिकों की धार्मिक और नैतिक भावनाओं को गहराई से आहत करती है। उन्होंने कहा कि ऐसे पौधे या फसलें, जो पशु-अवशेषों से बनी खादों से पोषित होती हैं, पूर्ण रूप से शाकाहारी नहीं मानी जा सकतीं। यह न केवल धार्मिक असहजता का कारण है, बल्कि आस्था-आधारित खाद्य शुद्धता (Faith-based Food Integrity) का भी उल्लंघन है।

फाउंडेशन की प्रमुख मांगें
1. सभी खादों पर स्पष्ट लेबलिंग अनिवार्य की जाए, जिनमें पशु-अवशेष शामिल हों, ताकि किसान और उपभोक्ता सूचित एवं आस्था-सम्मत निर्णय ले सकें।
2. पौध-आधारित जैविक खादों (Plant-based Organic Fertilizers) के लिए एक अलग श्रेणी व प्रमाणन प्रणाली (Certification System) बनाई जाए, जिसमें “Veg Certified Organic Fertilizer” का लेबल हो।
3. कृषि विश्वविद्यालयों व अनुसंधान संस्थानों को प्रोत्साहित किया जाए कि वे केवल पौध, गो-आधारित एवं सूक्ष्मजीवी स्रोतों से बने खादों को बढ़ावा दें।
4. पूर्णतः गैर-पशु स्रोतों से उगाई गई फसलों के लिए “Veg Origin Certified” लेबल जारी किया जाए।

श्री जैन ने कहा कि यह पहल न केवल करोड़ों शांति-प्रेमी नागरिकों के धार्मिक और नैतिक मूल्यों की रक्षा करेगी, बल्कि भारत की छवि को “अहिंसा, अनेकांत और सतत जीवनशैली (Sustainable Living)” के वैश्विक अग्रणी राष्ट्र के रूप में और सशक्त बनाएगी।

प्रतिलिपि प्रेषित:
1. सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, नई दिल्ली
2. मुख्य कार्यकारी अधिकारी, FSSAI
3. अध्यक्ष, APEDA (NPOP Certification)
4. महानिदेशक, ICAR
5. सदस्य (कृषि), नीति आयोग

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