दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह की बुधवार को गुजरात के अहमदाबाद की एक अदालत ने उन अर्जियों को खारिज कर दिया, जिनमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की शैक्षणिक डिग्री के संबंध में टिप्पणियों को लेकर उनके खिलाफ दायर मानहानि मामले में कार्यवाही में स्थगन का अनुरोध किया गया l

क्या हैं पूरा मामला?

बता दें कि आम आदमी पार्टी (आप) के इन नेताओं की तरफ से अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एस जे पांचाल ने उनके वकीलों द्वारा दायर स्थगन अर्जियों को खारिज कर दिया l बृहस्पतिवार के लिए अदालत ने केजरीवाल की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसमें कहा गया था कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 197 के तहत मंजूरी के बिना उन पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता क्योंकि वह लोक सेवक हैं l

आपको बता दें कि गुजरात विश्वविद्यालय (जीयू) द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले का दोनों नेता प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री के संबंध में अपने ‘व्यंग्यात्मक’ और ‘अपमानजनक’ बयानों के सिलसिले में इसका सामना कर रहे हैं l इस आधार पर मामले में स्थगन की मांग करते हुए केजरीवाल और सिंह ने अर्जियां दायर की हैं कि समन को चुनौती देने वाली उनकी याचिकाएं गुजरात उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं और अगले साल फरवरी में सुनवाई की संभावना है l

गुजरात विश्वविद्यालय के वकील अमित नायर ने स्थगन अर्जियों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने मुकदमे पर कोई रोक नहीं लगाई है और मामले में जिन गवाहों से पूछताछ की जानी है l वह सभी अदालत में मौजूद हैं l बता दें कि इस मामले में नायर ने उस दलील को भी चुनौती दी कि चूंकि वह लोक सेवक हैं, इसलिए सीआरपीसी की धारा 197 के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी ली जानी चाहिए थी l

इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल आधिकारिक कार्य के निर्वहन की श्रेणी में नहीं आता है, इसलिए वर्तमान मामले में ऐसी मंजूरी की आवश्यकता नहीं है l उनका मानना यह हैं कि यह अर्जी मामले को लटकाने की एक रणनीति है। बृहस्पतिवार तक के लिए अदालत ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया l जानकारी के लिए आपको बता दें कि केजरीवाल और सिंह ने सत्र अदालत में उनकी पुनरीक्षण याचिका के निपटारे तक उनके खिलाफ मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया था l दोनों नेताओं को अदालत ने यह कहते हुए तलब किया था कि प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 500 (मानहानि) के तहत मामला बनता प्रतीत होता है l हाईकोर्ट द्वारा प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री पर मुख्य सूचना आयुक्त के आदेश को रद्द करने के बाद जीयू के रजिस्ट्रार पीयूष पटेल ने दोनों नेताओं के खिलाफ उनकी टिप्पणियों पर मानहानि का मामला दायर किया था l

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