ऐ धरा तू ना और आँसु बहा,
जितना सहना था ,तूने सहा।
तेरे नन्हे बच्चें रखेंगे अब तेरा ख्याल,
अब तेरी सेवा होगी ,चाहे कुछ भी हो हाल।
तेरी मिट्टी को संवारेंगे ,
नये पेड़ पौधे भी लगाएंगे

अब तू कर ले अपने क्रोध को शांत,
तेरी हस्ती नहीं मिटने देंगे,
तुझे अब और कोई दुख न देंगें।
तू हम सब की मां है,
तुझ से ही जीवन का गुमान है।
ये वादा है एक मां का तुझसे,
अपनी बेटी को दूँगी ऐसी परवरिश,
मानों जैसे आवाज़ मेरी
और शब्द तेरे,
अब कुछ भी हो जाए, साथ रहूंगी हमेशा तेरे ।
हर एक इंसान को तेरी दास्तां सुनाऊँगी,
अब तुझे ही पूजूंगी, तुझे ही मनाऊंगी।
प्रेम और प्यार की जो तू है मूरत,
उसकी तस्वीर हर दिल में छपवा दूँगी।
जब भी करें कोई तेरा शोषण,
उसे दर्द होगा भीषण।

जो तू ही खुश नहीं रहेगी,
तो हमारी ज़िंदगी आगे कैसे चलेगी?
वादा है मेरा, बस अब और नहीं होगा शोषण तेरा….
हर औरत का मैं देती हूं साथ,
माफ़ी तुझ से मांगती हूं जोड़ के हाथ।

ना हारेगी तू अब ना हारूँगी मैं,
तुझे पूरा न्याय मिलेगा, वादा निभाऊंगी मैं।

एकता सहगल मल्होत्रा

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