दिल्ली एनसीआर में बाढ़, बारिश, जलजमाव और उमस के बाद अब संक्रामक बीमारियां फैलना शुरू हो गई है। ऐसे में आपका सतर्क रहना बेहद जरुरी है l बुखार, सर्दी-जुकाम, उल्टी और दस्त के बाद अब लोगों में आंखें लाल होने की समस्या (कंजक्टिवाइटिस) बढ़ गई है। दिल्ली और आस पास के इलाको में बड़ी तेजी से आई फ्लू बढ़ रहा है l अस्पतालों में आंखों में खुजली और जलन से परेशान लोगों की संख्या बढ़ने लगी है।

आजकल अस्पताल में रोज 4-5 मामले कंजंक्टिवाइटिस वायरस यानी आई फ्लू के देखने को मिल रहे हैं। मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। इस बार दिल्ली में भारी बारिश और बाढ़ के कारण जलजमाव की स्थिति काफी ज्यादा देखने को मिली। ऐसे में इस बार दिल्ली में मॉनसून के मौसम में डेंगू के अलावा आंखों के संक्रमण या कंजंक्टिवाइटिस के मामलों में भी अचानक वृद्धि हुई है।

क्या है आई फ्लू के लक्षण :-

बता दें कि आंखों के होने वाले इन्फेक्शन को आई फ्लू या कंजंक्टिवाइटिस कहते हैं l इसमें इंफेक्शन होने वाले व्यक्ति की आंखें लाल हो जाती है l इसके साथ ही आंखों से पानी निकलता रहता है और सूजन हो जाती है l जिस कारण आंखों से साफ नहीं दिखता l आई फ्लू ठीक होने में 5 से 10 दिन का समय लग सकता है l

कैसे फैलता है ये संक्रमण :-

अगर आप किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो आपको यह वायरस हो सकता है l यह वायरस संक्रमित व्यक्ति की आंखों से निकलने वाले आंसुओं के संपर्क में आने से संक्रमण बढ़ जाता है l इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति के खांसी के दौरान छींकने से भी संक्रमण फैल सकता है l

बता दें आंख का सफेद हिस्सा और पलकों की सतह कंजंक्टिवा नाम की एक पतली से झिल्ली से ढकी होती है। इसी झिल्ली में अगर सजून आ जाए या यह लाल पड़ जाए, तो उसे कंजंक्टिवाइटिस कहते हैं। मॉनसून में वायरस, बैक्टीरिया, क्लैमाइडिया की वजह से संक्रमण होने का डर बना रहता है।

ऐसे रखे स्वछता का ध्यान :-

अगर आपके घर में कोई कंजंक्टिवाइटिस से पीड़ित है, तो उनकी मदद के बाद तुरंत हाथ साफ करें l कंजंक्टिवाइटिस पीड़ित मरीजों से दूरी बनाकर रखें l आंखों को गंदे हाथों से ना छुएं l आंखों को ठंडे पानी से साफ करें l तौलिये और नैपकिन शेयर करने से बचें l धूल, केमिकल और तेज धूप से बचें l आंखों पर काला चश्मा लगाएं l भीड़भाड़ वाली जगह पर जाने से बचें l इसके लिए तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। अगर किसी वजह से कोई डॉक्टर के पास नहीं जा पा रहे हैं तो आइस पैक लगा सकते हैं। इसके अलावा क्लोरैम्फेनिकॉल जैसे आई ड्रॉप का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। लेकिन, बेहतर यही होगा कि किसी भी ड्रॉप का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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