सुप्रीम कोर्ट की मंज़ूरी के साथ दलित और आदिवासी संगठनों ने 21अगस्त यानि बुधवार को पुरे14 घंटो के लिए भारत बंद का एलान किया। अनुसूचित जाती (SC) अनुसूचित जनजाति (ST) और पिछड़े वर्गो (OBC) मैं समानता और न्याय के लिए दलित और आदिवासी संगठनों ने उठाये है ये सवाल।जी हाँ,आपको बता दे कि, नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशंस (NACDAOR) ने सुरक्षा को लेकर अपनी सवालो की सूचि सुप्रीम कोर्ट के सामने रख दी है। नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशंस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मंजूरी नहीं दी और साथ ही में केंद्रीय सरकार ने भी दलित और आदिवासीयों की मांगों को रद्द कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट का SC पर था ये बयान…

आपकी जानकारी के लिए बता दे ,सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश के अनुसार संविधान के 6 -1 में ये लिखा हैं की कोटा के ही अंतर्गत कोटा बनाने यानि की उसकी सब कैटेगरी बनाने की इजाज़त हैं ताकि जो उस पार्टी को लीड करेगा उसे उस आरक्षण अपनी खुद की प्राथिमकता मिल सकेगी और उस कानून बनाने में राज्य की विधानसभाएं हमेशा तट पर रहेगी। वही दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने 2004में लिए खुद के ही फैसलों से मुखर गयी और कहा की; वो आर्टिकल – 341 के खिलाफ हैं और उनके सब कैटेगरी में भी एक उचित सीट होनी चाहिए। जी हाँ, कोर्ट ने ये साफ़ तोर पर बोल दिया है की SC के अंदर किसी भी शक्श को 100 % कोटा नहीं मिलेगा और किसी व्यक्ति को अगर इसमें शामिल होना है तो उसके पास पुख्ता साबुत और डेटा जर्रूर होनी चाहिए।

विरोध के पीछे का कारण क्या हैं ?

आपको बता दें की सुप्रीम कोर्ट के फैसले का देश भर में बोलबाला फैला हुआ हैं। अनुसूचित जनजाती पर प्रशनो की बाढ़ का सैलाब खड़ा कर दिया है। उनके अनुसार ये आरक्षद उनकी तरक्की के लिए बल्कि उनके सामाजिक रूप से उन्हें आज तक मिली प्रतारणा के खिलाफ होना चाइये। वो आगे ये भी बोलते है की, ये आरक्षण ख़तम करने की साजिस कर रहे हैं ताकि मौजूदा वयवस्था पर कोई भी नेगेटिव इम्पैक्ट न पड़े।

भारत बंद का आवाहन क्यों किया ?

वही सूत्रों के अनुसार आपको बता दें की दलित और आदिवासियों को छूत-अछूत के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट को चुनौती दी हैं की सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले को बदल दें। वही संगठनों का कहना हैं की सुप्रीम कोर्ट अपने न्याय पर दुबारा से विचार करे और अपने फैसले को बदलदे और कोटा के अंदर कोटा बनाने वाले फसले पर दुबारा से विचार करें।

कौन सी पार्टीयाँ इसमें शामिल हैं

आपको बता दे की दलित और आदिवसी संगठन के अलावा इस मोर्चे में अन्ये पार्टीया भी शामिल हैं जो इस भारत बंद में दलित और आदिवसी का साथ दे रहे हैं ;जैसे की बहुजन समाज पार्टी, भीम आर्मी, आजाद समाज पार्टी (काशीराम) भारत आदिवासी पार्टी, बिहार में राष्ट्रीय जनता दल, एलजेपी समेत अन्य संगठनों के नाम भी सामने आये हैं। वही सूत्रों के अनुसार पता चल रहा है की कांग्रेस पार्टी ने भी इस भारत बंद का पूरा समर्थन किया हैं और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह भी किया है कि वो इस फैसले पर दुबारा से विचार करे और उनकी डिमांड पर नज़र डाले।

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