ज्ञानवापी मामले में तहखाने में पूजा की इजाजत देने वाले फैसले पर समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता रामगोपाल यादव ने टिप्पणी करते हुए शुक्रवार को दावा किया कि कई मौकों पर अदालतें सही फैसला नहीं सुनाती हैं l बुधवार को वाराणसी की जिला अदालत ने मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में पूजा-अर्चना को एक बार फिर से शुरू करने की इजाजत दे दी l तीन दशक पहले यह प्रथा बंद कर दी गई थी l फैसले के इस मुद्दे पर सवालों पर यादव ने कहा, ‘‘अदालत के आदेशों का हमेशा विरोध होता है l क्या अदालत के फैसले हमेशा सही होते हैं?’’ कई मौके ऐसे होते हैं जिस पर अदालत सही फैसला नहीं सुनाती हैं, इस टिप्पणी पर स्पष्टीकरण के लिए जोर दिए जाने पर राज्यसभा सदस्य ने कहा, ‘‘कई मौकों पर ऐसा नहीं होता है l सब कुछ बिल्कुल सही नहीं होता…हर फैसला-एक पक्ष के लिए सही होता है, दूसरे पक्ष के लिए गलत l’’

रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद फैसले का दिया संदर्भ

बता दें कि यादव ने एक अन्य सवाल के जवाब में संसद भवन परिसर में कहा कि ज्ञानवापी पर फैसला आखिरकार उच्चतम न्यायालय करेगा l उन्होंने परोक्ष रूप से राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद फैसले का संदर्भ देते हुए कहा, ‘‘…आप जानते हैं कि एक फैसला आया, वह राज्यसभा में आये, दूसरा आयोग का अध्यक्ष बनेगा, ऐसा ही होता है l’’

जल्दबाजी में आया फैसला: सैफुल्ला रहमानी

बता दें कि वहीँ दूसरी तरफ, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी अदालत के फैसले से खुश नहीं है। बोर्ड के अध्यक्ष सैफुल्ला रहमानी ने कहा कि ज्ञानवापी में जो हुआ, इससे मुस्लिमों के साथ अमन पसंद लोगों को भी धक्का पहुंचा है। उन्होंने कहा कि अदालत ने ये फैसला जल्दबाजी में दिया है।

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