अभिनेत्री सुष्मिता सेन और उनकी नवीनतम वेब सीरीज ताली को ऑनलाइन प्रशंसकों से खूब प्रशंसा मिल रही है। ताली में सुष्मिता ने वास्तविक जीवन की कार्यकर्ता श्रीगौरी सावंत पर आधारित एक ट्रांसवुमन की भूमिका निभाई है। एक दिन से भी कम समय तक शो देखने के बाद, उनके प्रशंसकों ने अपनी समीक्षाएँ साझा करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। और अब तक, वे काफी हद तक सकारात्मक हैं। यह शो श्रीगौरी सावंत के जीवन और यात्रा, गणेश से गौरी में उनके साहसी परिवर्तन और उसके कारण उनके साथ हुए भेदभाव को दर्शाता है; मातृत्व के प्रति उनकी निडर यात्रा, और वह साहसिक संघर्ष जिसके कारण भारत में हर आधिकारिक दस्तावेज़ में तीसरे लिंग को शामिल किया गया और उसकी पहचान की गई। सुष्मिता सेन के साहसिक अभिनय और भावनात्मक रूप से भरे लेखन ने प्रशंसकों को ऑनलाइन शो की प्रशंसा करने पर मजबूर कर दिया है।
बता दें कि “सुष्मिता सेन गौरी में जान डालने की पूरी कोशिश करती हैं, फिर भी उनकी स्क्रीन उपस्थिति में हमेशा एक सांसारिकता होती है जो बीच में आ जाती है। स्पष्ट बाधा उसकी कठोर शारीरिक भाषा और वह तरीका है जिससे एक निश्चित बिंदु के बाद किसी भी स्थिति पर उसकी प्रतिक्रिया का अनुमान लगाया जा सकता है। यह जिज्ञासा और आश्चर्य से रहित एक दिखावटी, एक-स्वर वाला प्रदर्शन है,” इसमें लिखा है। ताली का निर्माण अर्जुन सिंह बारन और कार्तिक डी निशानदार द्वारा किया गया है, जो राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक रवि जाधव द्वारा निर्देशित है, क्षितिज पटवर्धन द्वारा लिखित है, और अर्जुन सिंह बारन, कार्तिक डी निशानदार (जीएसईएएमएस प्रोडक्शन) और अफीफा नाडियाडवाला द्वारा निर्मित है।
जानिए सुष्मिता सेन की वेब सीरीज ‘ताली’ की कहानी?
बता दें सुष्मिता सेन की वेब सीरीज ‘ताली’ ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट गौरी सावंत के जीवन की सच्ची घटना पर बनी है ये सीरीज। गौरी ने न सिर्फ ट्रांसजेंडर के उत्थान के लिए काम किया बल्कि ट्रांसजेंडर के हितों के लिए अदालती लड़ाई लड़ी और उन्हें समाज की मुख्य धारा से उन्हें जोड़ने का प्रेरक काम किया। गौरी सावंत को उनके समुदाय के लोग भगवान का दर्जा देते हैं। सुष्मिता सेन ने इस सीरीज में इन्हीं ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट गौरी सावंत का किरदार निभाया है।
‘खुद को निहारु, खुद को सवारूं, सुध बुध खोयो जिया’ जैसे गीत से माहौल साधती ये कहानी वहां से शुरू होती है जहां क्लास में एक मासूम से बच्चे से पूछा जाता है कि वह बड़ा होकर क्या बनना चाहता है। वह कहता है कि मां बनना है। इस जवाब को सुनकर सभी बच्चे हंसते है और टीचर की डांट भी पड़ती है। फिर भी उसके मन में सवाल है कि मर्द कभी मां क्यों नहीं बन सकते? टीचर से जवाब मिलता है कि मर्द बच्चा पैदा नहीं कर सकते, इसलिए वह मां नहीं बन सकते। पांच -छह साल के बच्चे के मन में यह जवाब बैठ जाता है। और, इसका जवाब उसे बड़ा होने के बाद खुद से मिलता है। देवकी नहीं बन सकती तो क्या हुआ यशोदा ही सही, दोनों ही मां हैं। इसी भावना के साथ गौरी सावंत अपने समुदाय के हितों के लिए काम करती हैं। गौरी सावंत जब अपने समुदाय के लोगों को पढ़ा लिखाकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास करती है, तो उसे बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। गौरी सावंत कहती है कि यूएसए में किसी को भी ताली बजाकर कर भीख मांगते नहीं देखा। उसकी समुदाय के लोग कहते हैं कि यह तो सालों से चली आ रही हमारी परंपरा है। गौरी सावंत कहती है, ‘हमारी परंपरा में शिखंडी भी एक ऐसा राजा था जो बिल्कुल हमारी तरह से था। लेकिन वह लड़ा और जीता भी। हमें भी लड़ाई जीतनी है और हम अपनी लड़ाई तभी जीतेंगे जब हम शिक्षित होंगे। शिक्षित होंगे तो काम और इज्जत दोनों मिलेगी और कोई उल्लू नहीं बना सकेगा।’
सीरीज ‘ताली’ के कुछ दृश्य बेहद मार्मिक हैं, मसलन गणेश बड़ा होकर गहन सर्जरी से गुजरकर ट्रांसजेंडर बनने का फैसला करता है। एक तरह हॉस्पिटल में सर्जरी चल रही है और, दूसरी तरफ उसके पिता उसका अंतिम संस्कार कर रहे हैं। जब सुप्रीम कोर्ट से ट्रांसजेंडर को समान अधिकार मिल जाता है और गौरी सावंत टीवी इंटरव्यू में कहती है, “तू मुश्किल दे दे भगवान, मैं आसान करूं, तू दे तपती रेत, मैं गुलिस्ता करूं, तू पहाड़ बना दे जितने, मैं उसमें सुरंग बनूं, तू लाख गिरा दे बिजली मुझ पर, मैं तो सतरंग बनूं।” यह सुनकर गौरी सावंत के पिता का सीना गर्व से फूल जाता है लेकिन सामाजिक भेदभाव के चलते उन्होंने गणेश (गौरी सावंत) को कभी भी अपने बेटे का दर्जा नहीं दिया। गौरी सावंत को इस बात का दर्द जीवन भर रहा। अपनी अलग पहचान बनाने के लिए गौरी सावंत को पहली लड़ाई अपने लोगों से ही लड़नी पड़ती है। और, इस किरदार में सुष्मिता सेन ने अपने अभिनय से प्राण फूंक दिए हैं। उनका एक एक भाव, एक एक संवाद देखने लायक है।
सुष्मिता सेन ने ट्रांसजेंडर गौरी सावंत की भूमिका को बहुत ही प्रभावी ढंग से निभाया है। वेब सीरीज की पूरी बागडोर उन्हीं के कंधों पर टिकी है और इस किरदार के साथ पूरी तरह से उन्होंने न्याय करने की कोशिश भी की है।