10 अक्टूबर 2025 यानी की आज, शुक्रवार का दिन रहने वाला है, इस दिन सुगाहन महिलाओ का प्रिय करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। आज के दिन महिलाएं व्रत रखकर शिव-पार्वती की पूजा करती हैं, अपने पति की लम्बी उम्र की कामना करती है और चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं।

करवा चौथ की अनसुनी कहानी: जानें कैसे शुरू हुआ यह पवित्र व्रत

कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ कहते हैं। इसमें गणेश जी, भगवान शिव, माता पार्वती और कार्तिकेय का पूजन करके उन्हें प्रसन्न किया जाता है। इसका विधान चैत्र की चतुर्थी में लिख गया है। करवाचौथ व्रत कथा का महात्मय सबसे पहले भगवान शिव से माता पार्वती से कहा था और द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने द्रोपदी को सुनाया था। महाभारत का युद्ध आरंभ होने से पहले जब अर्जुन नीलगिरी पर्वत पर तपस्या करने के लिए गए थे तो अर्जुन काफी समय तक वापस ही नहीं लोटे तब द्रौपदी को बड़ी चिंता हुई। तब वह भगवान कृष्ण के पास पहुंची और भगवान कृष्ण ने उन्हें करवाचौथ का व्रत करने की सलाह दी। इस के बाद भगवान कृष्ण ने ही द्रौपदी को इसका महात्मय सुनाया था। प्राचीन समय में इंद्रप्रस्थ नामक एक शहर में वेद शर्मा नाम का एक ब्राह्मण रहता था। उसके सात पुत्र व एक पुत्री थी। पुत्री का नाम वीरवती था। वीरवती का इंद्रप्रस्थ वासी ब्राह्मण देव शर्मा के साथ विवाह हुआ। वीरवती को उसके भाई और भाभियाँ बहुत प्यार करती थीं। शादी के पहले वर्ष करवा चौथ के व्रत पर वह अपने मायके आई। नियमानुसार अपनी भाभियों के साथ ‘करवा चौथ’ का व्रत रखा। वीरवती की भाभियों ने करवा चौथ का व्रत पूर्ण विधि-विधान से निर्जल रहकर किया, मगर वीरवती सारे दिन की भूख-प्यास सहन न कर पाने से निढाल हो गई। जब भाइयों को पता लगा कि उनकी प्रिय बहन वीरवती का भूख-प्यास से बुरा हाल हैं और अभी चंद्रमा के कहीं दर्शन नहीं हुए थे और बिना चंद्र दर्शन एवं अर्घ्य दिए वीरवती कुछ ग्रहण नहीं करेगी, इस पर भाइयों से वीरवती की हालत देखी नहीं गई। सांझ का धुंधलका चारों तरफ हो गया था। भाइयों ने योजना बनाई और काफी दूर जाकर बहुत-सी आग जलाई उसके आगे एक कपड़ा तानकर नकली चंद्रमा का आकार बनाकर वीरवती को दिखा दिया। वीरवती को कुछ पता नहीं था, अतः उसने उसी आग को चंद्रमा समझ लिया और अर्घ्य देकर अपना व्रत सम्पन्न कर लिया। व्रत के इस प्रकार खंडित होने से उसी वर्ष उसका पति सख्त बीमार पड़ गया। घर का सारा पैसा इलाज में चला गया और बीमारी ठीक नहीं हुई। घर का अन्न-धन खाली हो गया। पूरा वर्ष व्यतीत होने को आया करवा चौथ का व्रत निकट ही था। एक दिन इंद्रलोक की इंद्राणी ने वीरवती को स्वप्न में दर्शन दिए और उसके करवा चौथ के व्रत के खंडित होने का वृत्तांत सुनाया।इंद्राणी ने कहा- वीरवती! इस बार तू यह व्रत पूरे विधि-विधान से रखना तेरा पति अवश्य ठीक हो जाएगा। घर में पहले की तरह धन-धान्य होगा। वीरवती ने वैसा ही किया और उसके प्रताप से उसका पति ठीक हो गया।

करवाचौथ पूजा विधि…

करवाचौथ का व्रत महिलाएं बेहत साफ़ सुथरे ढंग से और पूरे विधि विधान से करती हैं जिसके लिए सबसे पहले महिलाएं सुबह प्रातःकाल 4 बजे उठकर सरगी का सेवन करती है और अपने निर्जला उपवास की शुरुआत करती है इसके बाद स्नान करके नए वस्त्र पहनकर 16 श्रृंगार करती है आज के दिन महिलाओ के अंदर एक अलग की उमंग देखने को मिलता है। इसके बाद पूजा करने के लिए दीवार पर करवा माता की आकृति बनाकर हाथ में अक्षत लेकर कथा सुनती है और करवा में पानी भरकर माता करवा चौथ की आरती भी करती है। इसके बाद रात में जब चाँद निकल आता है तब चाँद को अर्घ्य देकर चन्नी से अपने पति के चेहरा देखकर महिलाये अपने पति की लम्बी उम्र और स्वस्थ्य जीवन की कामना करती है। इसके बाद पति के हाथों से पानी पीकर अपना व्रत खोलती है।

जानिए कब दिखेगा चाँद?

आज का व्रत सुहागन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए करती हैं। इस बार करवाचौथ पर सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है। चंद्र देव की पूजा से विशेष सौभाग्य मिलता है। इस करवाचौथ स्वराशि वृषभ में रहेंगे और रोहिणी नक्षत्र का शुभ संयोग बना है। मान्यता है कि इस दिन चंद्र देव को दर्शन करना और उनकी पूजा करने से विशेष सौभाग्य मिलता है।यहां दिल्ली एनसीआर सहित देश के बड़े शहरों में करवाचौथ के चांद निकलने का समय बताया गया है। दिल्ली में रात 8 बजकर 24 मिनट,गाजियाबाद में रात 8 बजकर 22 मिनट, लखनऊ में रात 8 बजकर 20 मिनट, नोएडा में रात 8 बजकर 24 मिनट, मेरठ में रात 8 बजकर 21 मिनट, बैंगलुरु में रात 9 बजकर 10 मिनट।

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