अरस्तू के अनुसार “कला का उद्देश्य चीज़ों के बाहरी स्वरूप को चित्रित/प्रदर्शित करना नहीं है, बल्कि उनमें निहित उनके आंतरिक महत्व को व्यक्त/प्रदर्शित करना है।” ध्यान, सादगी और ऊर्जा से लबरेज़ शुभांगी जांगड़े की पेंटिंग प्रदर्शनी ‘सोल ऑन कैनवास’ अब दिल्ली में! कलाकृतियों में चुप्पी के भीतर छिपी आत्मा की आवाज़ सुनाई देती है। इन कलाकृतियों में चांदी, सफेद और मेटैलिक रंगों के माध्यम से आंतरिक शांति की यात्रा को दर्शाया गया है।

शुभांगी जांगड़े की एकल प्रदर्शनी शुरू

कलाकार शुभांगी एस. जांगड़े की 12 कलाकृतियों की एकल प्रदर्शनी “सोल ऑन कैनवास” का प्रदर्शन त्रिवेणी कला संगम में किया जा रहा है। इस प्रदर्शनी का औपचारिक उद्घाटन बुधवार, 7 अप्रैल 2025 किया जाएगा। आम जनता इस प्रदर्शनी को देख सके, इसके लिए यह प्रदर्शनी 16 मई 2025 तक सुबह 11 बजे से रात 8 बजे तक खुली रहेगी। कलाकार शुभांगी कहती हैं – “अशांत मन से बनाई गई चित्रकारी/पेंटिंग कभी सकारात्मक ऊर्जा नहीं दे सकती। इस बार ‘ध्यान’ को कैनवास कला की थीम के तौर पर चुना गया है। कलाकार कहती हैं, “मेरा मानना है कि ध्यान और एकाग्रता के बिना हम कोई भी कार्य पूर्णता के साथ नहीं कर सकते।” ध्यान स्वयं को शांति और शांतचित्तता से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण साधन है। ध्यान सफलता प्राप्त करने का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इन कलाकृतियों को बनाने में चांदी (सिल्वर), धात्विक (मेटलिक) और सफेद रंगों का इस्तेमाल किया गया है। ये कलाकृतियाँ/पेंटिंग अत्यंत शांत/सादगीपूर्ण और आंखों को सुकून देने वाली हैं। ये कलाकृतियाँ एक बिंदु से शुरू होकर, ध्यान के ज़रिए सफलता के शिखर तक पहुँचने की कहानी कहती हैं। चाहे रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कितना भी कोलाहल क्यों न हो, लक्ष्य तक पहुँचने की इस यात्रा में ध्यान ही हमारा साथी है।

जब रंग बोलते हैं और कल्पनाएँ गूँजती हैं

कलाकार अपनी रचनात्मक सोच और नवाचारी दृष्टिकोण के माध्यम से अपनी कलाकृतियों/पेंटिंग और मूर्तियों को समझकर अपने काम से गहराई से जुड़ना चाहती हैं। उनकी पेंटिंग के रंग बोलते हैं, उनकी कल्पना गूँजती है – यही जादू दर्शकों को मंत्रमुग्ध करके उनकी भावनाओं को जगा देता है। शुभांगी 2008 की प्रथम पेंटिंग मेरिट होल्डर बनीं और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर चित्रकला एवं फोटोग्राफी में भारत का प्रतिनिधित्व करने का गौरव प्राप्त है। वह कहती हैं, एक कलाकार के रूप में अपना परिचय देते समय मैं बहुत आत्मविश्वास महसूस करती हूँ, क्योंकि एक कलाकार का परिचय देना स्वयं में एक चुनौतीपूर्ण कार्य है – हालाँकि कृतियाँ शब्दों से कहीं अधिक बोलती हैं। मेरी कलात्मक अभिव्यक्तियाँ इतनी बहुमुखी हैं कि उन्हें एक संक्षिप्त परिचय में समेट पाना मुश्किल है।”

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