हर साल की तरह इस साल भी शिवरात्रि कब मनाई जाए यह असमंजस की स्थिति बनी हुई है। आपको बता दें की शिवरात्रि के पवन पर्व से 9 दिन पहले शिव नवरात्री मनाया जाता है। इस 9 दिन के शिवरात्रि का भी खास महत्व है। शिव पार्वती के विवाह के उपलक्ष्य पर यह दिन पूरे दुनिया भर में मनाया जाता है।
कब मनाया जाता है शिव नवरात्रि
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि, इस बार 17 फरवरी से शिव नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस मौके पर हर दिन भगवान महाकाल अपने अलग-अलग स्वरूप में दर्शन देते हैं। इन दिनों को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। आपको जानकारी के लिए बता दें की इस दिन को शिव भक्त बहुत ही महत्वपूर्ण मानते हैं और इसे बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाते हैं। इस दिन भक्त अपने आराध्य भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्रद्धा-भाव से पूजा करने मंदिर ज़रूर जाते हैं। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना का विशेष महत्व होता है।
भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और रात्रि भर जागरण करते हैं। इस दिन शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है और उन्हें बेलपत्र, धतूरा, भांग आदि अर्पित किया जाता है। महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के अटूट प्रेम और मिलन का प्रतीक है। यह पर्व भक्तों को भगवान शिव को अपनी श्रद्धाभाव को व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है।
महाशिवरात्रि और शिव नवरात्री में अंतर
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है। जहाँ महाशिवरात्रि से 9 दिन पहले, शिव नवरात्रि मनाई जाती है। यह उत्सव देश में केवल उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में ही मनाया जाता है। जिस प्रकार विवाह से पहले विभिन्न परंपराएं निभाई जाती हैं, जैसे हल्दी-मेहंदी की रस्म, उसी प्रकार शिव नवरात्रि में भगवान महाकाल को चंदन का लेप लगाया जाता है और फिर मेहंदी लगाई जाती है। इस 9 दिनों तक चलने वाले उत्सव में, महाकालेश्वर का भव्य श्रृंगार से किया जाता है और हर दिन शिव के विभिन्न रूपों की झलक देखने को मिलती है। । आपको जानकारी के लिए बता दें की इस साल 17 फरवरी को शिव पंचमी के पूजन के साथ ही शिव नवरात्रि की शुरुआत होगी। यह उत्सव महाशिवरात्रि तक चलेगा और इसमें अन्य प्रकार के धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस अंतराल में जो भक्त सच्चे मन से बाबा महाकाल की पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। शिव नवरात्रि के दौरान व्रत और उपवास रखने का भी विशेष महत्व है। यह व्रत महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा के बाद ही तोड़ा जाता है।
कब है महाशिवरात्रि?
हर साल की तरह इस साल भी भक्त महाशिवरात्रि किस दिन मनाए इसे लेकर असमंजस में हैं। इसलिए इस बार 26 फरवरी को ही महाशिवरात्रि मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में बहुत से व्रत-त्योहार को उदया तिथि के आधार पर मनाने की परंपरा है। हालांकि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव का पूजन और जलाभिषेक रात्रि में करने का विधान है, इसलिए 26 फरवरी को ही महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। चार पहर में पूजा करने से मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर शुरू होगी, जो की 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर खत्म होगी। इसलिए इस बार 2025 में 26 को ही महाशिवरात्रि मनाई जाएगी।
महाशिवरात्रि पर चार प्रहर पूजा के शुभ मुहूर्त
प्रथम प्रहर पूजा समय – 26 फरवरी को शाम 06 बजकर 19 मिनट से रात 09 बजकर 26 मिनट तक
द्वितीय प्रहर पूजा समय – 26 फरवरी को रात 09 बजकर 26 मिनट से रात 12 बजकर 34 मिनट तक
तृतीय प्रहर पूजा समय – 27 फरवरी की रात 12 बजकर 34 मिनट से सुबह 03 बजकर 41 मिनट तक
चतुर्थ प्रहर पूजा समय – 27 फरवरी को सुबह 03 बजकर 41 मिनट से सुबह 06 बजकर 44 मिनट तक
9 दिनों तक दिव्य स्वरूप में दर्शन
18 फरवरी 2025 चंदन श्रृंगार
19 फरवरी 2025 शेषनाग रूप
20 फरवरी 2025 घटाटोप रूप
21 फरवरी 2025 छबीना रूप
22 फरवरी 2025 होल्कर परंपरा श्रृंगार
23 फरवरी 2025 मनमहेश स्वरूप
24 फरवरी 2025 उमा-महेश रूप
25 फरवरी 2025 शिव तांडव रूप
26 फरवरी 2025 निराकार रूप