REPORTED BY DEEPIKA RAJPUT
हर साल 14 सितंबर हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदी एक ऐसी भाषा है जिसे आसानी से लोग समझ पाते है l हिंदी दिवस का उद्देश्य भाषा के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उस घटना को याद करना है जब इसे भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में अपनाया गया था l हिंदी मात्र एक ऐसी भाषा है जो देशभर में सबसे ज्यादा बोली जाती है l इसी के साथ यह दिन हिंदी भाषा को समर्पित है l हिंदी भाषा का क्रेश सिर्फ देश में ही नहीं विदेशो में भी है l
जानकारी के लिए बता दें भारत में हिंदी बोलने वालों की संख्या करीब 78 प्रतिशत दुनिया में 64 करोड़ लोगों की मातृभाषा हिंदी है l जबकि 20 करोड़ लोगों की दूसरी भाषा, और 44 करोड़ लोगों की तीसरी, चौथी या पांचवीं भाषा हिंदी है l आम बोलचाल के लिए भी हिंदी सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाती है। ऐसे में हिंदी के महत्व को लोगों तक पहुंचाने और इसे बढ़ावा देने के मकसद से हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।
हिंदी दिवस की शुरुआत
आपको बता दें कि हिंदी दिवस मनाने की आधिकारिक तौर पर शुरुआत 14 सितंबर 1953 को हो गई थी l 1953 में भारत के प्रधानमंत्री पद पर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने संसद भवन में 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी l संविधान सभा की एक लंबी चर्चा के बाद 14 सितंबर को 1949 को हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया l तब से 14 सितंबर को हिंदी दिवस और 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाने लगा l 14 सितंबर को हिंदी के महान साहित्यकार व्यौहार राजेंद्र सिंह का जन्मदिन भी है l इसलिए इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है l
संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अन्तरराष्ट्रीय रूप होगा। यह निर्णय 14 सितम्बर को लिया गया, इसी दिन हिन्दी के मूर्धन्य साहित्यकार व्यौहार राजेन्द्र सिंह का 50वाँ जन्मदिन था, इस कारण हिन्दी दिवस के लिए इस दिन को श्रेष्ठ माना गया था।
हिंदी का नाम “हिंदी” कैसे पड़ा?
आपको बता दें कि असल में हिंदी नाम खुद किसी दूसरी भाषा से लिया गया है। फारसी शब्द ‘हिंद’ से लिए गए हिंदी नाम का मतलबसिंधु नदी की भूमि होता है। 11वीं शताब्दी की शुरुआत में फारसी बोलने वाले लोगों ने सिंधु नदी के किनारे बोली जाने वाली भाषा को ‘हिंदी’ का नाम दिया था।
“हिंदी से ही हृदय धड़कता, हिंदी से ही है मेरी पहचान
भाषा का प्रभाव ऐसा हैं कि शब्द-शब्द में झलकता हैं सम्मान
तभी तो हृदय में बसता हैं हिंदुस्तान, फिर क्यों ना करू अपनी हिंदी पर अभिमान”