यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका जो कि एक जाना-माना देश है, जिसका नाम सुनते ही अपराधी गुनाह करने से डरते हैं। अमेरिका का इतिहास ही उसका गुरूर है, पर अब अमेरिका एक मज़ाक का पात्र बनकर रह गया है। जिसकी वजह है अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प। जब से ट्रम्प ने देशों पर टैरिफ का ऐलान किया है, तब से अमेरिका एक मज़ाक बन गया है। ट्रम्प ने भारत समेत कई अन्य देशों पर भी टैरिफ लगाया है।

ट्रम्प ने क्यों लगाया टैरिफ?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जब से टैरिफ की घोषणा की है, तब से दुनिया के कई देशों में डर और तनाव का माहौल है। आपको सूत्रों की जानकारी से बता दें कि ट्रम्प के टैरिफ लगाने की असल वजह है डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग, जिसका मतलब है कि ट्रम्प अपने ही देश का सामान अपने देश में बेचेगा तो उसको ज़्यादा मुनाफ़ा होगा और यही प्रोडक्ट ट्रम्प अगर दूसरे देशों में बेचेगा, वो भी ज़्यादा टैरिफ के साथ, तो उसके देश को सुरक्षा मिलेगी क्योंकि वही टैरिफ देश को सुरक्षा प्रदान करेगा जिससे अमेरिका पर कोई भी आसानी से हमला नहीं कर पाएगा और कोई भी दुश्मन अमेरिका को ज़्यादा नुकसान नहीं पहुँचा पाएगा। आपको यह भी बता दें कि ट्रम्प ने अभी कई देशों पर टैरिफ की घोषणा कर दी है, जिसमें चीन का शहर ताइवान और स्विट्ज़रलैंड भी शामिल है।

ट्रम्प ने किन देशों पर टैरिफ की घोषणा की ?

जब से डोनाल्ड ट्रम्प ने टैरिफ का बिगुल डंके की चोट पर बजाया है, तब से कई देशों पर संकट और तनाव के बादल छा गए हैं। जिसमें से कनाडा पर अमेरिका से सामान की खरीदी पर 35% शुल्क, अमेरिका ने ब्राज़ील पर 50% टैरिफ लगाया है, वहीं दूसरी ओर अमेरिका ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने का निर्णय लिया है, ताइवान पर 20% और स्विट्ज़रलैंड पर 39% टैरिफ लगाया गया है।

अमेरिका ने एक बड़ा निर्णय यह भी लिया है कि अगर रूस से किसी भी देश ने सामान लिया जैसे कि तेल, यूरेनियम और सुरक्षा के लिए हथियार, तो उस देश पर 500% टैरिफ लगाया जाएगा सज़ा के तौर पर। आपको बता दें कि ट्रम्प ने भारत की सरकार के साथ व्यापार को लेकर पाँचवीं बैठक की और छठी बैठक 25 अगस्त को होगी, जिसकी वजह से ट्रम्प की टैरिफ टीम इंडिया आ सकती है।

टैरिफ के कारण भारत और अमेरिका की व्यापार वार्ता पर काफी बड़ा असर पड़ा है। बैठक में डोनाल्ड ट्रम्प लगातार पीएम नरेंद्र मोदी पर दबाव बना रहे हैं कि भारत अमेरिका की सारी टैरिफ शर्तों को स्वीकार कर ले और भारत सिर्फ अमेरिका के लिए एग्री और डेयरी पर टैरिफ कम कर दे। इस पर पीएम मोदी का यह बयान था कि “अगर देश के हित और देश की जनता के हित की बात है तो हर संभव कार्रवाई होगी, पर ऐसे भी कुछ सेक्टर्स हैं, जिन पर किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जा सकता है और उन पर टैरिफ लगाना भी बहुत मुश्किल है, जिससे देश की आमदनी पर गहरा असर पड़ेगा।”

भारत पर ट्रम्प ने कई बार टैरिफ की घोषणा की और यह भी कहा कि 1 अगस्त से हर एक देश पर टैरिफ लागू हो जाएगा। पर ट्रम्प ने भारत पर कई बार टैरिफ लगाया और वापस लिया। आज 5 अगस्त है, सिर्फ दो दिन बचे हैं जब 7 अगस्त को भारत और अमेरिका टैरिफ को लेकर फैसला होगा।

शेयर मार्केट + टैरिफ = लॉस

जब से अमेरिका ने टैरिफ लगाने की बात की है, उसका असर सीधा शेयर मार्केट की NIFTY पर पड़ा है। सूत्रों के अनुसार 1 अगस्त को NIFTY के अंकों में गिरावट देखी गई थी। जैसे ही ट्रम्प ने टैरिफ को भारत पर लगाने का फरमान जारी किया, तब से शेयर मार्केट में NIFTY पर भारी गिरावट हुई है।

फिलहाल के लिए टैरिफ को भारत में एक महीने के लिए रद्द कर दिया गया है, पर दूसरी तरफ आई बाजार ने भी प्रिडिक्ट किया था कि NIFTY में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है। क्योंकि टैरिफ टेंशन की वजह से बुधवार और गुरुवार को भी शेयर मार्केट के स्टॉक्स लाल निशान पर बंद हुए थे।

शुक्रवार की सुबह भी ऐसा ही हाल था, शेयर मार्केट लाल निशान से स्टार्ट हुआ था और 9 बजे शेयर मार्केट पर 200 अंकों की गिरावट देखी गई थी और NIFTY पर भी 50 से ज़्यादा अंकों की गिरावट आई थी। वहीं दूसरी ओर जहां NIFTY गिर गया था, वहां कुछ शेयर को फ़ायदा हुआ था। जिसमें से HUL के शेयर में 3.75 फीसदी का फायदा हुआ, Eicher Motors के शेयर 2.85 फीसदी पहुंचे, नेस्ले इंडिया के शेयर में 1 फीसदी और टाटा कंज़्यूमर के स्टॉक में भी करीब 1 फीसदी की वृद्धि हुई।

वहीं सबसे ज़्यादा सन फार्मा के शेयर में 4.68 फीसदी का लाभ देखा गया और M&M के शेयर्स में 2.25 फीसदी और सिप्ला के शेयर्स में 2.10 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी। यह पहली बार नहीं है जब शेयर मार्केट इतना नीचे गिरा। 31 जुलाई को भी ट्रम्प के टैरिफ ऐलान की वजह से NIFTY के शेयर्स में भारी गिरावट हुई थी। सेंसेक्स में 750 अंक से भी ज़्यादा गिरावट हुई और वहीं दूसरी ओर निफ्टी बैंक करीब 300 अंक से और निफ्टी आईटी 215 अंक और FMCG 300 अंक से ज़्यादा गिर गया था।

इंडियन रिफाइनरी ने पीछे किए कदम

सूत्रों के अनुसार यह खबर सामने आई है कि इंडियन तेल भंडार ने भी टैरिफ के चलते अपने कदम पीछे हटा लिए हैं। आपको यह बता दें कि भारत सरकार और कई रिफाइनरी तेल कंपनियों ने रूस से कच्चे तेल की खरीदी पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी है।

जिसमें से इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन और मैंगलोर रिफाइनरी पेट्रोकेमिकल जैसी कई नामी तेल रिफाइनरी कंपनियां शामिल हैं, जिन्होंने रूस से तेल खरीदने पर रोक लगाई है। रिपोर्ट के अनुसार यह भी सामने आया है कि इन भारतीय तेल कंपनियों ने पिछले पाँच हफ्तों से रूस से कच्चा तेल नहीं खरीदा है और अभी तक इन कंपनियों और सरकार से कोई भी जवाब नहीं आया है। ट्रम्प की धमकी की वजह से भारतीय तेल भंडार की कंपनियां डरी हुई हैं क्योंकि ट्रम्प ने कहा है कि अगर भारत रूस से तेल खरीदेगा तो ट्रम्प भारत पर 100% टैरिफ लगा देगा।

ट्रम्प ने की डिक्टेटरगिरी

अगर ट्रम्प अपने लालच के लिए और अपने देश के फ़ायदे के लिए बाकी देशों पर टैरिफ लगा रहा है तो यह ज़रा ज़र नाइंसाफी है। ट्रम्प सिर्फ अपने और अपने देश के फ़ायदे के लिए दूसरे देशों पर टैरिफ लगा रहा है पर वो दूसरे देशों के बारे में नहीं सोच रहा है।

अगर वो हर एक देश से टैरिफ लेगा और सज़ा के तौर पर भी दुगना टैरिफ वसूल करेगा तो देशों की इकोनॉमी और देश की वृद्धि पर काफी बड़ा और घातक असर पड़ सकता है। यह तो वही बात होगी “अपने पैरों पर खुद ही कुल्हाड़ी मारना” — ये ट्रम्प की टैरिफ पॉलिसी पर बिलकुल सटीक बैठता है। आपकी क्या राय है ? क्या ट्रम्प अपने ही देश को वरदान दे रहा है वो भी दूसरे देशों पर अपना अधिकार जमाकर, या फिर ट्रम्प ने टैरिफ के चलते अपने ही देश को श्राप दे दिया है? अगर ट्रम्प ने भारत में टैरिफ लगाया तो भारत के साथ अन्य देश भी बगावत करेंगे और टैरिफ को लेकर अन्य देश भी ट्रम्प से व्यापार करने पर पाबंदी लगा सकते हैं।

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