आज सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अपील पर सुनवाई की। बता दें कि राहुल ने मानहानि केस में सजा पर रोक से इनकार के गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है।

आपको बता दें कि आज सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट में राहुल गांधी की ओर से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने जज के सामने दलीलें पेश कीं। शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी की तरफ से वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने तर्क रखे। राहुल की याचिका जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने सुनी। अदालत ने दोनों पक्षों को 15-15 मिनट का समय दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बात एक व्‍यक्ति के अधिकार की नहीं है, एक सांसद की है। ट्रायल कोर्ट के जज ने अधिकतम सजा दी है, उन्‍हें इसकी वजह भी बतानी पड़ेगी। अपने फैसले में जज ने इसपर कुछ नहीं कहा। बता दें कि SC ने कहा कि अगर राहुल को 1 साल 11 महीने की सजा होती तो उन्‍हें बतौर सांसद अयोग्‍य नहीं करार दिया जाता। राहुल ने ‘मोदी सरनेम’ मानहानि मामले में सजा पर निलंबन से गुजरात हाई कोर्ट के इनकार को चुनौती दी है।

‘मैंने बड़ी क़ीमत चुकाई है’

बता दें कि गुरुवार को इसका जवाब देते हुए राहुल गांधी की ओर से पेश किए गए हलफ़नामे में कहा गया, “बिना किसी ग़लती के याचिकाकर्ता पर आपराधिक केस करके, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत सदस्यता रद्द करके किसी को माफ़ी मांगने के लिए मज़बूर करना न्यायिक प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग है और इस कोर्ट की ओर से इसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए l” इस केस में राहुल गांधी की पैरवी वरिष्ठ वकील प्रशांत सेन, रजिंदर चीमा और अभिषेक मनु सिंघवी कर रहे हैं l इसके अलावा कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि इस कोर्ट में उन्हें सफलता मिलेगी क्योंकि यह एक “असाधारण मामला” है, जहाँ एक मामूली बात की बड़ी क़ीमत चुकायी जा रही है और निर्वाचित सांसद के रूप में उन्हें लंबे वक़्त से अयोग्य ठहरा दिया गया है l

सुप्रीम कोर्ट से अपनी सज़ा पर रोक लगाने की अपील करते हुए राहुल गांधी ने कोर्ट को बताया कि पूर्णेश मोदी ने उनके कथित आपराधिक इतिहास को दिखाने के लिए उनके ख़िलाफ़ कई लंबित मामलों का सहारा लिया है, लेकिन उन्हें किसी अन्य मामले में दोषी नहीं ठहराया गया है और ज्य़ादातर मामले प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों के नेताओं की ओर से दर्ज कराए गए हैं l हलफ़नामे में कहा, “याचिकाकर्ता एक सांसद और विपक्ष के नेता हैं और इसलिए सत्ता में बैठे लोगों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करना ज़रूरी था l मानहानि का इरादा था या नहीं इसे समझने के लिए भाषण को पूरा पढ़ना जरूरी होगा l इसके अलावा, ये साफ़ है कि मानहानि एक नॉन-कॉग्निज़ेबल, कंपाउंडेबल और ज़मानती अपराध है l” गांधी ने कहा कि सूरत अदालत की ओर से दो साल की अधिकतम सज़ा देने का फ़ैसला असाधारण है और इसके रोक पर विचार किया जाए l उम्मीद है कि जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली पीठ चार अगस्त को राहुल गांधी की अपील पर सुनवाई करेगी l 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट के उस आदेश के ख़िलाफ़ गांधी की अपील पर एक नोटिस जारी किया था, जिसमें उनको मिली दो साल की सज़ा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया गया था l

पूर्णेश मोदी ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा था?

आपको बता दें कि सूरत पश्चिम से विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के मोदी सरनेम वाले बयान के खिलाफ़ केस दर्ज कराया था, जिसमें उन्हें दो साल की ना सिर्फ़ सज़ा मिली है बल्कि उनकी सांसदी भी रद्द कर दी गई l अदालत के नोटिस का जवाब देते हुए, पूर्णेश मोदी ने 31 जुलाई को कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति राहुल गांधी की व्यक्तिगत नफ़रत के कारण उन्होंने उन लोगों का घोर अपमान किया जिनका सरनेम संयोगवश प्रधानमंत्री का सरनेम है l कोर्ट में राहुल गांधी की याचिका का विरोध करते हुए पूर्णेश मोदी ने कहा था कि राहुल गांधी का केस ‘असाधारण’ की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता l पूर्णेश मोदी के हलफ़नामें में कहा गया, “ट्रायल कोर्ट जब सज़ा सुनाई जा रही थी तो याचिकाकर्ता ( राहुल गांधी) के चहरे पर पश्चात्ताप और पछतावे से दूर, अहंकार दिख रहा था l याचिकाकर्ता ने दुर्भावनापूर्ण एक निर्दोष वर्ग के ख़िलाफ़ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया है l”

पूर्णेश मोदी ने कहा कि गांधी ‘देश के निर्वाचित प्रधानमंत्री के प्रति व्यक्तिगत घृणा’ से प्रेरित थे और इसीलिए बयान दिया l चूंकि ये बयान निर्दोष वर्ग के ख़िलाफ़ दिया गया है, इसलिए वो किसी दया के पात्र नहीं हैं l

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