रामकथा की व्यापकता और अलग अलग रूपों से कभी कदा संदेह होता है कि कथानायक ऐतिहासिक पात्र हैं भी या नहीं। लेकिन दुविधा में पडऩे की जरूरत नहीं है। विभिन्न शोध और ऐतिहासिक साक्षों के अनुसार राम का अस्तित्व ऐतिहासिक सिद्ध होता है।

क्या राम के विचार पर चलना सही है ?

बता दें कुछ विवेचन के अनुसार 7323 ईसा पूर्व में राम का जन्म हुआ था। आपको बता दें प्रसिद्ध ज्योर्तिविद गोपीनाथ शास्त्री चुलैट ने वाल्मिकी रामायण में जगह जगह आए ग्रह नक्षत्रों के विवरणों का विश्लेषण करके जो समय तय किया है वह अबसे लगभग नौ हजार वर्ष पूर्व निश्चित होता है। जगह-जगह हुई खुदाई और पुरातात्विक अवशेषों के अनुसार अयोध्या में राम के होने के सबूत मिलते हैं। रामायण में ऐसे कई श्लोक है जो यह बात साबित करते है कि भगवान राम तो है पर ऐसे श्लोक रामायण में नहीं है जो आज 20 वी सदी में राम के नाम पर खेला जाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार और रामायण कि कथा के अनुसार ऐसा माना जाता है पवन पुत्र हनुमान जी ने ध्रुव पर्वत उठाया था संजीवनी बूटी के लिए वो गलत है। ऐसा माना जाता है कि कोई भी ऐसा नहीं कर सकता। साक्ष्यों को देखते हुए कहा जा सकता है कि मनुष्य के भीतर जितनी भी अच्छाइयों की कल्पना की जाती है वे रामकथा के नायक में गूंथी हुई है। देश विदेश में रामकथा का स्वरूप और घटनाओं का क्रम भले ही अलग रहे लेकिन भीतरी आकांक्षा एक ही है कि अपने श्रेष्ठतम को चिह्नित किया जाए। आप ऐसे समझ सकते है उदाहरण के लिए चीन में रामकथा का एक अलग ही रूप है। रामायण के हर पात्र के नाम वहां अलग है और राम कथा के मायने भी अलग हैं। दशरथ कथानम के अनुसार राजा दशरथ जंबू द्वीप के सम्राट थे और उनके पहले पुत्र का नाम लोमो था। उन्हे भी वनवास पत्नी के अपहरण और दुष्ट राजा से अकेले ही संघर्ष करना पड़ा था।

क्या है सच ?

पूरा वृत्तांत नाम और स्थानों की अलग पहचान के साथ रामकथा का ही संस्करण लगता है। राम और उनके जीवन का दुनिया के हर क्षेत्र में गहरा प्रभाव पड़ा है। राम को 14 वर्ष का वनवास हुआ था। इस दौरान उन्होंने दुनिया के हर क्षेत्र में घूम-घूम कर लोगों को ज्ञान और ध्यान की शिक्षा दी। आपको बता दें मौखिक परंपरा में रामायण शायद 1,500 ईसा पूर्व से अस्तित्व में थी, लेकिन आम तौर पर चौथी शताब्दी ईसा पूर्व को ऋषि वाल्मिकी द्वारा संस्कृत में इसकी रचना की तारीख के रूप में स्वीकार किया जाता है। कई इतिहासकारों का दावा है कि रामायण वास्तव में घटित हुई थी और यह कोई पौराणिक लोककथा नहीं है।
रामायण और महाभारत सच्ची घटना ही नहीं ईश्वर का जन्म भी सही है ईश्वर पृथ्वी पर समय अनुसार बार-बार अवतरण होते हैं और रामायण में ईश्वर ने जन्म लिया है यह भी सही है जबकि इतिहासकार यह कहने के लिए सबूतों की कमी का हवाला देते हैं कि राम एक पौराणिक व्यक्तित्व थे जो लोग अन्यथा मानते हैं वे दावा करते हैं कि इस बात की पुष्टि करने के लिए महत्वपूर्ण सबूत मौजूद हैं कि राम मांस और रक्त में मौजूद थे। आपको जानकारी के लिए बता दें की यह बात आपकी मानसिकता के आधार पर निर्भर करता है कि अगर आप भगवान के अस्तित्व को मानते है तो रामायण सत्य घटना है । अगर आप उनके अस्तित्व को नकारते है तो सब कुछ काल्पनिक है।

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