नवरात्रि के दूसरे दिन मां के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की उपासना की जाती है। माँ ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है। मां दुर्गा की दूसरी शक्ति ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना बड़े धूम धाम से कि जाती है। विद्यार्थियों के लिए और तपस्वियों के लिए इनकी पूजा बहुत ही शुभ फलदायी होती है।
शारदीय नवरात्रि
नवरात्रि के दूसरे दिन मां के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की उपासना की जाती है। बता दें माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कड़ी तपस्या की थी, उसी तपस्या के कारण माता पार्वती का यह रूप ब्रह्मचारिणी के नाम से पूजा जाने लगा। बता दें शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा की दूसरी सब से बड़ी शक्ति ‘देवी ब्रह्मचारिणी’ की पूजा अर्चना करने का विधान है। माता के नाम से उनकी शक्तियों के बारे में जानकारी मिलती है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली अर्थात तप का आचरण करने वाली होता है। माता ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है।
शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
मां दुर्गा के दूसरे शक्ति ब्रह्मचारिणी की उपासना के समय पीले अथवा सफेद वस्त्र धारण करें। मां को सफेद वस्तुएं अर्पित करें। जैसे कि मिसरी, शक्कर या पंचामृत. ज्ञान और वैराग्य देवी को भोले, साफ और प्रेम भाव से अर्धना करे। बात दें नवरात्रि के दूसरे दिन पूजा के लिए 2 शुभ मुहूर्त रहेंगे। सुबह 10.17 बजे से सुबह 11.58 बजे तक अमृत काल रहेगा। नवदुर्गाओं में दूसरी दुर्गा का नाम ब्रह्मचारिणी है। इनकी पूजा नवरात्र के दूसरे दिन की जाती है। ब्रह्मचारिणी इस लोक के समस्त चर और अचर जगत की विद्याओं की ज्ञाता हैं। इनका स्वरूप श्वेत वस्त्र में लिप्टी हुई कन्या के रूप में है, जिनके एक हाथ में अष्टदल की माला और दूसरे हाथ में कमंडल है। आज के दिन माँ के इस मनमोह रूप कि पूजा सभी कर उनका आशीर्वाद पाए।