हिमाचल प्रदेश में लगातार तेज बारिश से दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर फिर से बढ़ने की आशंका जताई जाने लगी है। यमुना का जलस्तर सुबह चार बजे से बढ़ रहा है। बता दें कि दिल्ली में पुराना लोहा पुल के पास यमुना का जलस्तर 205.81 मीटर पहुंच गया है। इससे पहले शनिवार को यमुना खतरे के निशान से नीचे बह रही थी। यमुनानगर जिले में हथिनीकुंड बैराज के 18 गेट खोल दिए गए हैं। यह पानी यमुना में यमुनानगर से आगे कुरूक्षेत्र, करनाल, पानीपत और सोनीपत के रास्ते दिल्ली जाएगा। जिससे इन शहरों में भी बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। पहाड़ों में हो रही बारिश के बाद शनिवार को 11 बजे हथिनी कुंड बैराज में पानी का लेवल 2 लाख 23 हजार 054 क्यूसेक था। वहीं एक घंटे बाद ही यह 2 लाख 40 हजार 825 क्यूसेक पर पहुंच गया। बैराज का डेंजर लेवल 70 हजार क्यूसेक है।

दोपहर तक बढ़ सकता है जलस्तर :-

बता दें कि यमुना का जलस्तर 15 जुलाई के बाद से 206 मीटर से नीचे है, क्योंकि हथनी कुंड से कुछ दिन से प्रति घंटे एक लाख क्यूसेक से कम पानी छोड़ा जा रहा था, परन्तु एक बार फिर इसमें बढ़ोतरी देखने को मिली l ऐसी आशंका जताई जा रही है कि आज दोपहर तक जलस्तर 206 के ऊपर पहुंच सकता है। 13 जुलाई के बाद शनिवार 22 जुलाई की सुबह नौ बजे सर्वाधिक 1,47,857 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जो दोपहर तक बढ़कर प्रति घंटे दो लाख क्यूसेक को पार कर गया। आने वाले दो दिनों में इसके दिल्ली पहुंचने की संभावना है। मौसम विभाग के मुताबिक 25 जुलाई तक उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में भारी वर्षा होने का पूर्वानुमान है।
इससे दिल्ली में एक बार फिर से बाढ़ की स्थिति पैदा होने की आशंका जताई जा रही है।

बता दें कि सिरसा में मल्लेवाला के पास घग्गर नदी का मुख्य बांध टूट गया है। बांध टूटने की सूचना मिलते ही ग्रामीणों में हड़कंप मच गया। उन्होंने गांव की मेन रोड पर मिट्‌टी डालकर बांध बनाना शुरू कर दिया है। यहां से दूसरे गांवों में बाढ़ का पानी घुसने का खतरा है। वहीं चंडीगढ़ मौसम विभाग ने हरियाणा के 5 जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इन जिलों में पंचकूला, यमुनानगर, कुरूक्षेत्र, कैथल, करनाल शामिल हैं। इसके अलावा अंबाला और जींद जिले में बारिश को लेकर येलो अलर्ट किया है।

3.59 लाख क्यूसेक पानी छोड़ने से बिगड़ी थी स्थिति :-

बता दें कि 9 जुलाई से हथनी कुंड से प्रति घंटे एक लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ा जा रहा था और 11 जुलाई को यह अधिकतम 3.59 लाख क्यूसेक तक पहुंच गया था। 13 जुलाई को राजधानी में पुराना लोहा पुल के पास यमुना नदी का जलस्तर 208.66 मीटर तक पहुंच गया और राजधानी के छह जिले में बाढ़ आ गई। यमुनापार के कई क्षेत्रों के साथ कश्मीरी गेट, सिविल लाइंस व मुखर्जी नगर तक में पानी भर गया था। कई स्थानों पर जैसे रिंग रोड और विकास मार्ग पर वाहनों की आवाजाही बंद हो गई थी। यमुना में पानी बढ़ने से वजीराबाद, चंद्रावल और ओखला जलशोधन संयंत्र बंद होने से राजधानी के कई क्षेत्रों में जलसंकट हो गया था।

66 अधिकारियों की टीम कर रही निगरानी :-

आपको बता दें कि अधिकारियों का कहना है कि हथनी कुंड से पानी छोड़ने के साथ ही यमुना के जलस्तर की निगरानी की जा रही है। सितंबर तक नदी में पानी का स्तर बढ़ने का खतरा बना रहेगा। इसको ध्यान में रख कर तैयारी की गई है l अलग-अलग स्थानों पर 66 वरिष्ठ अधिकारियों को राहत और बचाव कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पिछले दिनों उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश में वर्षा होने के बाद भी राजधानी में यमुना का जलस्तर बहुत ज्यादा नहीं बढ़ा। केंद्रीय जल आयोग के पूर्वानुमान के अनुसार पहाड़ी नदियों में पानी ज्यादा नहीं बढ़ेगा। ऐसी स्थिति में हथनी कुंड से तीन लाख क्यूसेक से कम पानी छोड़े जाने की उम्मीद है। ITO बैराज का कई वर्षों से बंद पांच में से दो गेट खुल जाने से पहले की तुलना में नदी का पानी तेजी से दिल्ली से बाहर निकलेगा। तीन अन्य गेट खोलने की कोशिश भी जारी है।

15 जुलाई से जलस्तर हुआ कम :-

बता दें कि 13 जुलाई से हथनी कुंड से पानी छोड़ने की मात्रा कुछ कम होने पर 15 जुलाई से दिल्ली में यमुना के उफान में भी कमी आने लगी। एक सप्ताह से प्रति घंटे 30 से 75 हजार क्यूसेक और कई बार 30 हजार क्यूसेक से भी कम पानी छोड़ा जा रहा है। यही कारण कि 10 जुलाई के बाद पहली बार 18 जुलाई को यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे आया। उसके बाद से जलस्तर 206 मीटर से नीचे ही है। शनिवार सुबह नौ बजे से भी यह खतरे के निशान से नीचे था।

आपको बता दें कि राजस्व मंत्री आतिशी ने कहा कि हथनी कुंड से यमुना में दो लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़े जाने के कारण दिल्ली सरकार हाई-अलर्ट पर है। बाढ़ जैसी घटना से निपटने के लिए हर संभव उपाय कर रही है। उन्होंने कहा कि “केंद्रीय जल आयोग के के अनुसार शुक्रवार शाम तक यमुना खतरे के स्तर को पार कर सकती है।संभावित चुनौतियों से निपटने के लिए, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ पूरी सरकार स्थिति पर नजर रख रही है। तैयारियों का निरीक्षण किया जा रहा है। यदि यमुना का जल स्तर 206.7 मीटर तक बढ़ जाता है तो यमुना खादर के कुछ हिस्सों में बाढ़ का सामना करना पड़ सकता है। निवासियों को सूचित करने और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए बाढ़ की आशंका वाले क्षेत्रों में नियमित मुनादी की जा रही हैं।

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