नई दिल्ली: एक सुप्रसिद्ध कलाकार ने एक महत्त्वपूर्ण बात कही थी कि “रचनात्मकता हमें गलतियाँ करने की इजाज़त देती है, लेकिन ‘कला’ यह जानना है कि किस कलाकृति (रचना) को सहेज कर रखना है।” और जब मामला समूह प्रदर्शनी के लिए कलाकृतियों का चुनाव करने का हो तो क्या चुनें-क्या न चुनें की यह प्रक्रिया और भी जटिल हो जाती है।
चित्रों और संगतराशी (मूर्ति-कला) की आगामी “रंगायन समूह कला-प्रदर्शनी” के क्यूरेटरों (संग्रहाध्यक्ष) ने इस दुविधा के रहते ‘सर्वश्रेष्ठ’ का चयन करने के कार्य को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है।
नई दिल्ली में लोधी रोड स्थित इंडिया हैबिटेट सेंटर के विजुअल आर्ट गैलरी में यह प्रदर्शनी 28 अप्रैल, 2023 से 3 मई, 2023 तक आयोजित की जा रही है और पहले दिन शाम 6 बजे खुलेंगे।
“रंगायन“ एक वार्षिक कार्यक्रम है जिसके अंतर्गत भाँति-भाँति के कार्यक्रम-स्थलों का उपयोग किया जाता है। यह अपने-आप में एक अनूठा आयोजन है जिसका 2012 से ही सफलतापूर्वक मंचन किया गया है, और अब इसने आम लोगों और प्रतिभागियों दोनों के बीच अपनी ऊँची साख कायम कर ली है। यह प्रदर्शनी स्थानीय जनसमुदाय के सभी सदस्यों के बीच कला में रुचि और भागीदारी को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखती है। स्थानीय और क्षेत्रीय स्तर के पेशेवर और शौकिया कलाकारों के कार्यों के बारे में जन-जागरूकता का प्रसार करना और साथ ही कलाकारों को अपने कार्यों को प्रदर्शित करने और उनका विपणन करने का भरपूर अवसर उपलब्ध करवाकर उनका हर तरह से समर्थन करना।
इस बार के आयोजन में भारत के विभिन्न भागों से आए 15 चित्रकार और मूर्तिकार शामिल हो रहे हैं। इनके नाम हैं: अभिजीत विश्वास (पेंटिंग/चित्रकला); श्रीमती भारती आर्य (मूर्तिकला/संगतराशी); डॉ. बिजॉय कुमार दत्ता (पेंटिंग); बिश्वपति मैती (पेंटिंग); विश्वरंजन भुइयां (पेंटिंग); हिम चटर्जी (पेंटिंग); ज्योति प्रसाद मल्लिक (पेंटिंग); श्रीमती कनिका मुखर्जी (पेंटिंग); मनोज सरकार (पेंटिंग); तापस बसु (पेंटिंग); डॉ. पार्थ सारथी भट्टाचार्जी (पेंटिंग); परदीप कुमार (मूर्तिकला); श्रीमती सोनाली मैत्रा पॉल (मूर्तिकला); सुमित सेन (पेंटिंग); और तीर्थंकर विश्वास (पेंटिंग)।
रंगसाज़ों (चित्रकारों) ने अपनी कृतियों में रंग भरने के लिए आम तौर पर तेल (ऑयल), एक्रिलिक और वाटर कलर का इस्तेमाल किया है; जबकि मूर्तिकारों ने संगतराशी के लिए कांसे और पत्थर का उपयोग किया है।
इस प्रदर्शनी में ऐसे कलाकार शामिल हैं जिन्होंने अपने आप को अमूर्त, या पोर्टेट और स्मारक पेंटिंग में पूरी तरह से तल्लीन कर लिया है और यही इन कलाकारों की नवीनता है जो प्रकाश और रंगों के साथ खेलते हैं और अपने कला की चमक बिखेरते हैं।
यह प्रदर्शनी कलाकारों को असामान्य तरीके से अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने का मौका देती है। हालाँकि, कोई भी तकनीक तब तक अच्छी नहीं मानी जा सकती जब तक कि प्रशंसक उसे वास्तव में देख और समझ न सकें। कल्पना करें कि आप एक कमरे में बंद हैं और भीतर की खाली जगह से बात कर रहे हैं। चाहे आप जो भी कहें या आपका जो भी आशय हो, जब तक आप अपना संदेश दूसरों के सामने नहीं रखते, तब तक आपको इसका कोई फायदा नहीं होनेवाला। यह कला-प्रदर्शनी इसी कमी की भरपाई करने के लिए है जो कलाकृतियों में छिपे हुए सार-तत्व और भावनाओं को उन लोगों की पारखी नजरों के सामने लाने में मदद करेगी जो इसकी प्रशंसा करते हैं और इसे बेहतर समझते हैं।