बैंक अधिकारियों का हुनर बकरियों की बना दी भैंस,भ्रष्ट बैंक प्रबंधन ने नाबार्ड को लगाया चूना ,सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक में करोड़ों का सब्सिडी घोटाला

चंडीगढ़ : नाबार्ड से मिलने वाली सब्सिडी को डकारने का खेल पिछले दिनों सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक में खूब खेला गया। वर्ष 2012 से 2015 के बीच हुए इस घोटाले के दाग तत्कालीन बैंक चेयरमैन पर भी लगे हैं। सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक अधिकारी संगठन और गुडग़ांव ग्रामीण बैंक श्रमिक संगठन के चीफ कॉर्डिनेटर श्री मुकेश जोशी ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की है। श्री जोशी के मुताबिक बैंक की दो शाखाओं रनिया और केहवाला में बैंक के द्वारा लगभग 45 लोन बांटे गए ये लोन लगभग 7 करोड़ के थे और इसके लिए रुपये ढाई करोड़ की सब्सिडी नाबार्ड से ली गई। इसकी एक कंप्लेंट हुई। बैंक के विजिलेंस ऑफिसर मिगलानी ने इस मामले की जांच की। कुछ अधिकारियों को बचाने के लिए जांच में कई खामियां छोड़ दी गईं। श्री जोशी उदाहरण पेश करते हैं कि 400 बकरियां और 20 बकरों की खरीद आदि के लिए 20 लाख का प्रोजेक्ट देकर ऋण लिया गया। सब्सिडी के लिए क्लेम भेजा गया लेकिन क्लेम रिजेक्ट हो गया

बकरियों के लोन पर सब्सिडी नहीं है, और बताया गया कि लोन डेयरी का लोन है तो सब्सिडी मिलेगी। तो फिर बकरियां भैंसों में बदल गईं। जांच अधिकारी ने यह भी पाया कि पशुओं का हेल्थ सर्टिफिकेट भी फर्जी हैं और जीवन नगर में तो कोई पशु हस्पताल ही नहीं है जहां के सर्टिफिकेट लगाए गए। ये तो सिर्फ बानगी भर है ऐसी बहुत सी खाामियां इन लोनों में शामिल हैं। लोन देने में ऐसी अनियमितताएं सामने आने के बाद भी करोड़ों की सब्सिडी की जांच ठंडे बस्ते में डाल दी गई और दोषी अधिकारियों को बचा दिया गया। ये दो ब्रांच तो सिर्फ बानगी भर हैं, इस मामले में अगर बैंक की लगभग 650 ब्रांचों की निष्पक्ष तरीके से जांच हो तो फिर अरबों का घोटाला सामने आएगा।


इस मामले में श्री जोशी ने पूर्व चेयरमैन प्रवीण जैन, डॉ.एम.पी.सिंह और ए.के.नंदा व इस कार्यकाल में महाप्रबंधक रहे एफ.सी.सिंघला, बी.के.सिंह, राजेश गोयल आदि की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगाए हैं। श्री जोशी का आरोप है कि किसानों के हित और ग्रामीणों की सेवा के उद्देश्य से बनाए गए इस बैंक में भ्रष्ट प्रबंधन के कारण सरकार को अरबों रुपये की हानि हो रही है साथ ही जिन उद्देश्यों के लिए ये बैंक सृजित किया गया था उन उद्देश्यों की पूर्ति भी नहीं हो पा रही है। रानिया ब्रांच में चंद रोज पहले ऐसे ही एक मामले में जांच के बाद सीनियर मैनेजर ने पाया कि शिकायत के तथ्य तो सही हैं और घोटाला हुआ है लेकिन चूंकि शिकायतकर्ता बेनामी है इसलिए इसपर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती।
सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक के पूर्व प्रबंधन के द्वारा किए गए घोटालों को बार-बार उजागर करने के बाद भी पंजाब नेशनल बैंक के उच्च अधिकारियों का मौन यह दर्शाता है कि नीचे से ऊपर तक सभी भ्रष्टाचार में संलिप्त है और सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक के पूर्व अध्यक्षों और पूर्व महाप्रबंधक के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोपों की निष्पक्ष जांच ना कराए जाना शक को बढ़ाता है कि कुछ तो गड़बड़ है इसलिए निष्पक्ष जांच हेतु देश की एजेंसी सीबीआई को सौंपी जाए ताकि भ्रष्टाचार के खिलाफ उचित कार्रवाई हो सके। श्री जोशी का कहना है कि जिस किसी ऋण की शिकायत होती है, उसकी जांच तो होती है जबकि अधिकांश ऋण ऐसे ही हैं।

अत: सीबीआई जैसी किसी जांच एजेंसी को एक-एक खाते की जांच करनी चाहिए और दूध का दूध पानी का पानी कर देना चाहिए। इस संबध में उन्होंने सीबीआई को भी पत्र लिखा है। विजलेंस रिपोर्ट दिखाते हुए श्री जोशी ने बताया कि नाबार्ड से जो सब्सिडी ली गई है वह गलत है जिसे वापस कराया जाना चाहिए और फ्रॉड लोन लेने और देने वालों के खिलाफ कार्रवाई न होने से भ्रष्टाचारियों को शह मिल रही है।

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