दिल्ली के मुख्यमंत्री को प्रधामंत्री से उनकी डिग्री मांगे जाने पर गुजरात के हाई कोर्ट ने लगाया 25000 रूपए का हर्जाना ,गुजरात हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री दिखाने से जुड़े एक आदेश को खारिज कर दिया है। दरअसल, मुख्य सूचना आयोग (सीआईसी) ने अपने आदेश में पीएमओ के जन सूचना अधिकारी , गुजरात विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय के पीआईओ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री का विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
पिछले कुछ दिनों में पुरे देश में प्रधानमंत्री की डिग्री मांगे जाने पर पुरे देश में प्रधानमंत्री के खिलाफ पोस्टर लगवाय गए जिसका आदेश दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने दिया। जिसपे पुरे भारत में इसपर विवाद छेड़ा जा रह है। अहमदाबाद ,गुजरात जैसे बड़े राज्यों में १८ से अधिक लोगो की गिरफ्तारी क्र ली गयी है।
और इस मोहीम को आगे बढ़ने के लिए इसे रद्द कर दिया गया है। इस आदेश को एकल-न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव ने रद्द कर दिया है।
अरविन्द केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए खा है।
कि क्या देश को ये जानने का भी अधिकार नहीं है कि उनके पीएम कितना पढ़े हैं? कोर्ट में इन्होंने डिग्री दिखाए जाने का जबरदस्त विरोध किया। क्यों? और उनकी डिग्री देखने की मांग करने वालों पर जुर्माना लगा दिया जायेगा? ये क्या हो रहा है? अनपढ़ या कम पढ़े लिखे PM देश के लिए बेहद खतरनाक हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने देश के प्रधानमंत्री पर उनकी डिग्री पर सवाल उठाते हुए कहा है की देश के प्रधानमंत्री अनपढ़ या काम पढ़ा लिखा होना देश के लिए खतरनाक है ?
भाजपा का पलटवार जवाब केजरीवाल को ,
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाने के गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि आप नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षिक योग्यता से संबंधित मामले को प्रेरित तरीके से आगे बढ़ा रहे हैं। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आज, गुजरात उच्च न्यायालय ने एक बड़ा फैसला दिया है। यह मामला गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा दायर किया गया था। विश्वविद्यालय ने दावा किया था कि पीएम मोदी की डिग्री पहले से ही उसकी वेबसाइट पर है। लेकिन उसके बावजूद मुख्य सूचना अधिकारी (CIC) ने अरविंद केजरीवाल के आदेश पर पीएम की योग्यता का खुलासा करने को कहा।
उन्होंने कहा कि न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि कोई केवल जिज्ञासा के लिए आरटीआई दायर नहीं कर सकता है। न्यायालय ने यह भी कहा कि यह पेशेवर, शैक्षणिक और चिकित्सा रिकॉर्ड जैसी जानकारी व्यक्तिगत है, इसलिए इसका खुलासा करना सही नहीं होगा। अदालत ने यह भी कहा कि यह आवेदन प्रेरित तरीके से लाया गया है इसलिए केजरीवाल पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।