राजनीति के बाहुबली नेता पंडित हरिशंकर तिवारी का मंगलवार रात को निधन हो गया। उनकी उम्र 88 वर्ष थी l उत्तर प्रदेश सरकार में पांच बार कैबिनेट मंत्री रहे l उन्होंने अपने आवास पर ही अंतिम सांस ली। जैसे ही उनके निधन की खबर लोगो तक पहुंची धर्मशाला स्थित उनके आवास पर समर्थकों की भीड़ इकट्ठा हो गई l उनके दो बेटे और एक बेटी है l उनका शव दर्शनार्थ के लिए बुधवार सुबह हाता परिसर में रखा गया l बहुत अधिक संख्या में लोग उनके अंतिम दर्शन के जुटने लग गए l इसके बाद शव यात्रा निकाल कर बड़हलगंज स्थित गांव टांडा ले जाई जा रही है। बता दें कि फिर वहां से शव को नेशनल इंटर कॉलेज में दर्शनार्थ रखा जाएगा। पंडित हरिशंकर तिवारी इस कॉलेज के प्रबंधक भी रहे थे। उनका अंतिम संस्कार बड़हलगंज स्थित मुक्तिपथ पर किया जाएगा। जानकारी के लिए बता दें कि चुनाव हारने के बाद उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया था l
हरिशंकर तिवारी का राजनीतिक जीवन वर्ष 2007 तक ऊंचाइयों को छूता रहा, परन्तु उसके बाद पहली बार उन्हें हार देखनी पड़ी l साल 2007 के बाद 2012 में भी वे चुनाव हार गए। फिर इसके बाद हरिशंकर तिवारी ने अपनी सियासी कर्मभूमि छोटे पुत्र विनय शंकर तिवारी को सौंप दी। साल 2017 में विनय शंकर बीएसपी से चुनाव लड़े और पूर्व मंत्री राजेश तिवारी को हराकर पुश्तैनी सीट पर कब्जा जमाया। बता दें कि चिल्लूपार से छह बार लगातार विधायक रहे है l उत्तर प्रदेश की सियासत में बड़े ब्राह्मण चेहरे के तौर पर पहचान रखने वाले पूर्व मंत्री पंडित हरिशंकर तिवारी की कर्मभूमि चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र रही है। इस क्षेत्र से हरिशंकर तिवारी 1985 में पहली बार विधायक बने और लगातार छह बार चुनाव में जीत हासिल की और हरिशंकर तिवारी सड़क पर उतर आए थे l प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होते ही लंबे समय बाद 2017 में तिवारी हाते पर पुलिस का छापा पड़ा था। उस वक्त यह छापा प्रदेश की सुर्खियों में था। छापा के बाद हरिशंकर तिवारी खुद सड़क पर उतरे और कलक्ट्रेट परिसर में धरने पर बैठ गए। तिवारी के धरने पर बैठने के बाद पुलिस बैकफुट पर आ गई। उस समय यह मुद्दा चर्चाओं में लम्बे समय तक बना रहा था l