दालती खबरों के लिहाज से आज (3 अगस्त) का दिन काफी अहम साबित हो सकता है. लंबे समय से कोर्ट में चल रहे ज्ञानवापी मुद्दे पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आज बड़ा फैसला सुनाते हुए ASI सर्वे को हरी झंडी दे दी है. दरसल 21 जुलाई को वाराणसी जिला जज ने ज्ञानवापी के ASI सर्वे का आदेश दिया था. मुस्लिम पक्ष ने पहले सुप्रीम कोर्ट फिर हाईकोर्ट में ASI सर्वे के फैसले को चुनौती दी थी अब अदालत ने मुस्लिम पक्ष की तरफ से सर्वे रोकने के लिए लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया गया है. फिलहाल आपको बतादे की मुस्लिम पक्ष ने इस सर्वे को रोकने के लिए याचिका दाखिल की थी. परन्तु अब अदालत के इस फैसले को हिंदू पक्ष के लिए बड़ी जीत माना जा रहा है. अदालत ने सर्वे पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा है कि न्याय के लिए यह सर्वे जरूरी है।
पिछले दिनों जिला जज एके विश्वेश ने शुक्रवार को मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वे कराने का आदेश दिया था.
ASI को 4 अगस्त तक सर्वे की रिपोर्ट वाराणसी की जिला अदालत सौंपनी थी. इसी आदेश के बाद ASI की टीम सोमवार को ज्ञानवापी का सर्वे करने पहुंची थी. लेकिन मुस्लिम पक्ष ने इस सर्वे पर रोक की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्टका दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने सर्वे पर दो दिन के लिए रोक लगाते हुए मस्जिद कमेटी को हाईकोर्ट जाने को कहा था. इसके बाद मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट का रुख किया। इस पर यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, मैं आदेश का स्वागत करता हूं. मुझे विश्वास है कि ASI के सर्वेक्षण से सच्चाई सामने आएगी और इस विवाद का भी निस्तारण होगा. तो वही हिंदू पक्ष के वकील विष्णू शंकर जैन का भी बयान आया है उन्होंने कहा की , हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है. साथ ही कहा है कि ASI सर्वे शुरू होना चाहिए और जिला अदालत का फैसला तत्काल प्रभाव से लागू है. कोर्ट ने हमारे दावे को स्वीकार कर लिया है. हमारा कहना था कि बिना नुकसान पहुंचाए सर्वे किया जाएगा, हमने इसी बात पर ख़ासा ज़ोर दिया की सच हो या झूठ कोर्ट के सामने आ कर ही रहेगा।
ASI ने भी कोर्ट में हलफनामा पेश किया है. कोर्ट ने कहा कि ASI के हलफनामे को न मानने की कोई वजह नहीं है. इसमें जिन टर्म्स का जिक्र है, उन्हीं के हिसाब से सर्वे किया जाए. उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि सर्वे होना चाहिए और जो भी हो सच या झूठ कोर्ट के सामने आना चाहिए. दरअसल ये मामला अगस्त 2021से चल रहा हैं। बतया जाता है की पांच महिलाओं ने वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिविजन) के सामने एक बात दायर किया था. जिसमें उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा और दर्शन करने की अनुमति देने की मांग की थी.
महिलाओं की याचिका पर जज रवि कुमार दिवाकर ने मस्जिद परिसर का एडवोकेट सर्वे कराने का आदेश दिया था। जिसके बाद कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए 3 दिनों तक सर्वे हुआ था। सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने यहां शिवलिंग मिलने का दावा किया था कि मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग है। हालांकि, मुस्लिम पक्ष का बोलना था की शिवलिंग नहीं, बल्कि फव्वारा है जो हर मस्जिद में होता है। इसके बाद हिंदू पक्ष ने विवादित स्थल को सील करने की मांग की थी। तब से ये मामला चल रहा है जिस पर आज हरी झंडी मिल ही गयी।