ब्लू नज सामुदायिक सहभागिता एवं व्यावहारिक परिवर्तन के माध्यम से समाज को पर्यावरण संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूक करने के लिए प्रयासरत है। ब्लू नज के सीईओ एवं सह संस्थापक हर्ष मेहरोत्रा से मीडिया बातचीत पर आधारित।
क्या आप ब्लू नज द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों का उद्देश्य और उनका विस्तृत वर्णन दे सकते हैं?
ब्लू नज द्वारा तीन प्रमुख अभियान चलाए जा रहे हैं। ब्लू नज का पहला प्रोग्राम कलेक्टिव रिस्पांसिबिलिटी ड्राइव (सीआरडी) है, जिसका उद्देश्य लोगों को संपोषणीय आदतों को अपना कर पृथ्वी को एक स्वच्छ, सुरक्षित और संधारणीय ग्रह बनाने के लिए प्रेरित करने का है। विद्यालयों, शैक्षणिक संस्थाओं एवं अन्य संगठनों में चलाए जा रहे इस कार्यक्रम के माध्यम से व्यक्तियों को सिखाया जाता है कि वे कैसे अपने व्यवहार में साकारात्मक परिवर्तन लाकर सततपोषणीय विकास और पर्यावरण के प्रति जागरूक समाज का निर्माण कर सकते हैं।
हमारा दूसरे प्रोग्राम, माय सोशल रिस्पांसिबिलिटी (एमएसआर), का उद्देश्य युवाओं को संपोषणीय भविष्य के निर्माण के लिए आवश्यक ज्ञान और प्रशिक्षण देना है। इसमें व्याख्यानों, चर्चाओं, एवं व्यावहारिक गतिविधियों के माध्यम से युवाओं को जलवायु परिवर्तन जैसी पर्यावरण संबंधी चुनौतियों से अवगत कराया जाता है और इनसे निपटने के लिए जरूरी कौशल का विकास भी किया जाता है।
ब्लू नज का तीसरा प्रोग्राम ईएसपी यानी एनवायरमेंटल स्टडीज प्रोग्राम है, जिसका लक्ष्य छात्रों को पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं का निवारण करने एवं संधारणीय आदतों को अमल में लाने के लिए जरूरी ज्ञान और कौशल प्रदान करना है। इस प्रोग्राम में छात्रों को ऑनलाइन प्रशिक्षण के साथ ही व्यावहारिक ज्ञान भी दिया जाता है। इसमें सामूहिक भागीदारी की भावना को बढ़ावा देने के लिए बहुत-सी गतिविधियां संचालित की जाती हैं।
यह कार्यक्रम ब्लू नज के मूल्यों और पूरे मिशन से कैसे जुड़े हुए हैं?
ब्लू नज के सभी कार्यक्रम हमारे ग्रह के प्रति हमारी जिम्मेदारी के भाव को जगाने एवं संधारणीयता की दिशा में व्यावहारिक परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए पंक्तिबद्ध हैं। ब्लू नज शिक्षा, सामूहिक सहभागिता एवं लोगों को सशक्त बनाकर एक सकारात्मक परिवर्तन लाने के महत्व को समझता है, जो हमारे इन कार्यक्रमों में भी स्पष्ट प्रदर्शित होता है।
क्या आप इन कार्यक्रमों के माध्यम से छात्रों एवं शिक्षकों पर पड़े प्रभाव के कुछ उदाहरण साझा कर सकते हैं?
इन कार्यक्रमों की मदद से छात्रों एवं शिक्षकों में पर्यावरण संबंधी मुद्दों को लेकर जागरूकता बढ़ी है। संधारणीय प्रथाओं की ओर उनका ध्यान आकर्षित हुआ है। ब्लू नज के कार्यक्रमों के कारण उनमें जिम्मेदारी का भाव महसूस किया गया है। शिक्षक संधारणीयता के महत्व को समझ, ऐसी प्रथाओं को अपनी शिक्षण पद्धतियों में अपना रहें हैं और छात्रों के व्यवहार में परिवर्तन लाने का प्रयास कर रहे हैं।
विद्यालयों एवं संस्थानों में सीआरडी पहल कैसे काम करती हैं?
विद्यालयों एवं संस्थानों के लिए विकसित किए गए सीआरडी कार्यक्रम में जागरूकता अभियानों, पारस्परिक संवाद सत्रों, छोटे-छोटे क्रियाकलापों एवं आपसी सहयोग के जरिए संधारणीयता की संस्कृति को बढ़ावा दिया जाता है।
कचरे को प्लास्टिक बैंचों में पुनःप्रयोग करने की क्या प्रक्रिया है, और इन बैंचों को जरूरतमंद लोगों को कैसे वितरित किया जाता है?
कचरे को प्लास्टिक बैंचों में पुनर्चक्रित करने के लिए सबसे पहले कूड़े को बीन कर उसकी छटनी की जाती है। कूड़े को साफ कर उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता है और अंत में उसे पिघला कर बैंच का आकार दे दिया जाता है। इन बैंचों को जरूरतमंद समुदायों एवं संस्थानों में वितरित कर ना सिर्फ कूड़े का प्रबंधन किया जा सकता है बल्कि इससे सार्वजनिक स्थानों का इन्फ्रास्ट्रक्चर भी सुधरता है।