बुद्धि
बुद्धि और विवेक आपको जीवन के अनुभव से तो मिलते ही हैं , साथ ही आपके पास शिक्षा और ज्ञान ऐसे दो मध्यम हैं जो आपको और अधिक ज्ञानवान बनाते हैं। ज्ञान ही अतीत का बोझ उतारने में भी आपकी सहायता करता है।
इंसान होने के नाते हमारे जीवन में कई तरह के संघर्ष और मुश्किल हालात आ खड़े होते हैं। बचपन से ही हमारी मानसिकता कुछ इस प्रकार पूर्व निर्धारित की जाती है कि धन के प्रति हमारा दृष्टिकोण उसी मानसिकता से पूर्व प्रभावित रहता है। हमें बचपन की इसी पूर्व निर्धारित मानसिकता से बाहर आ कर बाधाओं का सामना करना होगा,जो हमारे पूर्व में घटी घटनाओं से सुदृढ़ हो चुकी है। हमें पूरे विवेकपूर्ण ढंग से सभी चुनौतियों को पार करना है और विगत की असफलताओं को पीछे भुला कर आगे बढ़ना है। इसी प्रकार निवेश को लेकर आपके पिछले अनुभव कितने भी बुरे रहे हों, आप उन अनुभवों को पीछे छोड़ कर विवेकपूर्ण ढंग से निवेश के बारे में सोचना शुरु करें। सही निर्णय लेने में हमारा ज्ञान और विवेक ही काम आएगा।
दयालु होना
स्वयं के प्रति दया रखना बहुत आवश्यक है। साथ ही साथ आपके सर्विस प्रोवाइडर के प्रति भी सुहानुभूति रखें। निवेश करते वक्त हम अक्सर हड़बड़ी में होते हैं, और इसी वजह से हम अकसर स्वयं के प्रति, अपनी गाढ़ी कमाई के प्रति और सर्विस प्रदाता के प्रति दया दिखाने में कमी करते हैं। हम बहुत लापरवाही से निवेश के निर्णय लेते हैं, उस समय अपनी बुद्धि और विवेक का उपयोग नहीं करते ।
आप निवेश से क्या अपेक्षा रखते हैं, इस विषय पर सोचने के लिए भरपूर समय व्यतीत करना चाहिए।
धन के प्रति आपका दृष्टिकोण क्या है ,आपका लक्ष्य क्या है, उन लक्ष्यों पर टिके रहने के लिए आपके सेवा प्रदाता और आपकी गाढ़ी कमाई के प्रति दयालु होना अनिवार्य है। पैसा या धन आपके दृष्टिकोण को स्वयं ही तोल मोल के आपको इशारा कर देता है कि धन के बारे में क्या सोचते हैं। हम अक्सर लापरवाही से निवेश कर देते हैं, बिना आगा पीछा सोचे, बिना लक्ष्य निर्धारित किए, फिर परेशानी तो हम को ही होगी ना ? यहां पर भगवान बुद्ध की विवेक वाली शिक्षा काम आती है , जो भी करो खूब सोच समझ के । ये आपका धन है, इसे बेदर्दी से यहां वहां लगा देने से कुछ हासिल नहीं होगा और आप फंस जायेंगे।
धैर्य रखना
इस बिंदु में ऊपर दिए दोनों ही बिंदु सम्मिलित हो जाते हैं। यदि आप में धैर्य है ,तभी आप उदार भी बन सकेंगे और विवेक शील भी। निवेश के बारे में सही जानकारी लेने के लिऐ भी धैर्य चाहिए , उस जानकारी पर सोचने और मनन करने के लिए भी धैर्य की आवश्यकता है। आपके सर्विस प्रदाता के साथ शांति से बैठ कर आपकी निवेश संबंधी ज़रूरतों को धैर्य के साथ समझना और समझाना बहुत जरूरी है। आपके द्वारा निवेश को बढ़ता देखने के लिए भी धैर्य का प्रदर्शन आवश्यक है। आप यह तो समझते ही होंगे कि बच्चा पैदा होते ही इंसान नहीं बन जाता , एक बीज तुरंत ही पेड़ बन कर फल नहीं देने लगता, उसी प्रकार आपका निवेशित धन एकदम से नहीं बढ़ जायेगा। आपको जिस प्रकार के रिटर्न की आकांक्षा है, उस के लिए आपको धैर्य रखना ही होगा। बिना किसी भय या संशय के साथ ,धैर्य रखेंगे तो आपका निवेश पोर्ट फोलियो मजबूत बनेगा।
उदार होना
आपके धन को बढ़ने देने के लिए आप के अंदर उदारता का गुण होना आवश्यक है। यदि आप पूरी उदारता से आपके निवेश संबंधी उद्देश्यों को समय देंगे , आपके सर्विस प्रदाता के साथ भी उदारता से समय देंगे ,तभी आपका पैसा आपको कुछ कमा के देगा।
ज्ञान, विवेक, धैर्य और आपकी उदारता ही आपके निवेश पोर्टफोलियो को वजनदार बनायेंगे।
करुणा का भाव रखना
अपने आप के प्रति और अपने पैसे के प्रति करुणा का भाव अपनाएं। कई बार आप का निवेश लॉस में भी जा सकता है, आपके निर्णय गलत हो सकते हैं किन्तु इसका मतलब ये कदापि नहीं है कि आप खुद को कोसते रहें या सारा दोष सर्विस प्रदाता के सर मंढ दें। कई बार बुद्धि विवेक से लिए गए निर्णय भी कर सकते हैं। स्वयं के प्रति सख्त न बनें। बुद्ध के दिखाए सम्यक मार्ग पर चलने से ही बिना किसी स्ट्रेस के हम अपने निवेश का प्रबंधन कर सकते हैं।
यदि आप उपरोक्त सभी गुणों को अपने वित्तीय व्यवहार में शामिल कर लेंगे तो आप सकारात्मक रूप से , बेहतर प्लानिंग से एक सुदृढ़ निवेश पोर्ट फोलियो बना पाएंगे । एक ऐसा पोर्ट फोलियो जो आपके सभी लक्ष्य पूरे करने में सक्षम हो। जब जब आपका लक्ष्य बदले, आप फिर से इन्हीं बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित कर के समग्रता से निवेश को अपने हिसाब से संभाल पाएंगे।
याद रखिए बुद्ध भगवान की शिक्षा के ये बिंदु, बुद्धि, विवेक, ज्ञान, उदारता, करुणा और धैर्य ही आपकी निवेश यात्रा को पूर्णत: सफल बनाने में पूर्ण रूप से सक्षम हैं।
एकता सेहगल
फाउंडर मानस वेल्थ
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) .म्युचुअल फंड वितरक