ये चाय की नई टपरी है , दोस्तों का अड्डा है।
जी हां दोस्तों ,ये हमारा सोशल मीडिया का अड्डा है ।
जन्मदिन मनाए यहीं, प्रमोशन की पार्टी भी हो गई यहीं,
उम्मीद से ज्यादा दोस्त भी हमने बनाए यहीं,
वो कानपुर वाली मौसी भी मिल गईं,
ताई जी भी मुझे जूम पार्टी में देख के खिल गईं।
वो बचपन का सखा इंस्टाग्राम पे टकरा गया,
कई सालों पहले साथ बिताई यादों को ताज़ा कर गया ।
सोशल मीडिया ने रिश्तों और दोस्तों की एक नई जमात खड़ी कर दी।
इतनी बड़ी सी दुनिया समेट के रख दी ।
लड़का लड़की भी गूगल डुओ पे दिखा दिए गए ,
आनन फानन में मंगनी के लड्डू खिला दिए गए ।
दोस्त के दादाजी को श्रद्धांजलि भी ऑनलाइन ही दे दी ,
ज़रूरत से ज्यादा भीड़ भी अडजस्ट कर ली गई।
पंडित जी ने रोज़ जूम पर गरुड़ पुराण पढ़ दिया ,
रिश्तेदारों ने ज़ूम पर भजनों का अंबार गढ़ दिया ।
नाना नानी ने नाती होने की खुशी भी ऑनलाइन ही मनाई ,
नन्हें को वीडियो पे देख कर आंखें भर भर आईं।
मम्मी पापा से साल भर से मिलने नहीं जा पाई,
यहां पर व्हाट्सएप वीडियो कॉल ने तसल्ली दिलाई ।
एडमिशन के फॉर्म भी ऑनलाइन भरे गए ,
ऑनलाइन हुई परीक्षा , रिजल्ट भी ऑनलाइन पढ़े गए ।
फेसबुक पर कई लोग दुश्मनी में ब्लॉक कर दिए गए ,
सोशल मीडिया पर ब्रेक अप और पैच अप बहुत आसान हुए ,
प्रेमी प्रेमिका ने टिंडर पर डेटिंग करी,
एक रिलेशन टूट गया फिर भी नॉट टु वरी ।
ऑनलाइन प्लेटफार्म पर सीखा नाच और गाना ,
यू ट्यूब पर सीखा नौसिखियों ने खाना पकाना ।
सोशल मीडिया पर कवि कवियत्रिओं की बाढ़ आ गई,
एक दूसरे की तारीफों के पुल बंध गए ,
सभी रचनाकार एक दूसरे से हृदय से जुड़ गए ।
डाक्टरों की ऑनलाइन कंसल्टेशन की दुकान खुल गई,
डिप्रेशन के शिकार लोगों को जीने की वजह मिल गई।
ना होता सोशल मीडिया तो जिंदगी बे रौनक हो जाती ।
ऐसी बे नूर जिंदगी की कल्पना भी नहीं की जाती ।
इला पचौरी