राजस्थान में राजनितिक यात्राओं के प्रति लोगों में हमेशा से ही माहोल और आकर्षण रहा है। इस आकर्षण को बनाये रखने के लिए राजनेता अक्सर यहाँ राजनितिक यात्राएं निकलाते है।
राजस्थान में चुनावी यात्राओं ने माहोल को अभी से चुनावी कर दिया है। राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा दिसंबर के पहले हफ्ते में राजस्थान से गुजरेगी। इसे लेकर कांग्रेस में काफी उत्साह है। कांग्रेस को उम्मीद है की इस यात्रा से चुनाव में कांग्रेस के प्रति सकारात्मक माहोल बनेगा और इससे पूर्वी राजस्थान की लगभग 60 सीटों पर असर होगा। इसके अलावा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया की रामदेवाधाम की एकल यात्रा और वसुंधरा राजे की देवदर्शन यात्रा की खूब चर्चा है।
साल 2003 में वसुंधरा राजे ने परिवर्तन यात्रा कर सत्ता पलट दीऔर 120 सीटें जीतीं और जबकि अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस को केवल 56 सीटों पर संतोष करना पड़ा। इसी तरह साल 2013 के चुनाव से ठीक 6 महीने पहले अशोक गहलोत ने सन्देश यात्रा के जरिए अपनी योजनाओं का प्रचार किया लेकिन चुनाव में कांग्रेस को केवल 21 सीटें मिलीं। इस चुनाव से पहले सुराज संकल्प यात्रा कर वसुंधरा राजे ने भारी जीत हासिल की। इस तरह सचिन पायलट और किरोड़ी लाल मीणा ने भी कुछ अवसरों पर यात्राएं निकालकर जवलंत मुद्दों को ढाया।