जी20 समिट कि सफलता का समापन हो गया है। जहा बीते 8,9 और10 तारीख भारत के गर्व और एक पृथ्वी एक परिवार एक भविष्य की आत्मविश्वासी कामना हर हिंदुस्तानी के दिलो दिमाग पर छपी हुई है। बता दें कि G-20 समिट की आपार सफलता के बाद अब समिट के आयोजन में हुए खर्च पर राजनीति शुरू हो गई है। यह दावा किया जा रहा है कि सम्मेलन के लिए तय बजट 990 करोड़ रुपए के बजाय 4100 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।
सफलता का गुणगान
जानकारी के लिए आपको बता दें कि G-20 समिट की कामयाबी ने दुनिया के नक्शे पर भारत की नए पावर सेंटर के तौर पर अलग और कमाल छाप छोड़ी है। G-20 सम्मलेन सदस्य के देशों के अलावा विपक्ष के नेता भी इस अविश्वनीय सम्मलेन की तारीफ करते हुए कह रहे हैं कि ये भारत की एक अहम कूटनीतिक सफलता है। अमेरिकी सरकार ने भी खुद इस समिट की प्रशंसा की है। इस आयोजन ने पीएम मोदी की छवि को एक प्रभावशाली वैश्विक नेता के तौर पर खड़ा किया है। नई दिल्ली में पहली बार आयोजित हुए G-20 समिट के लिए सरकार ने जो तैयारियां की थीं, उसमें भारत की समृद्ध परंपराओं के अलावा आधुनिकता की चमक भी देखने को मिली है।
G 20 के खर्च पर विवाद
अब कार्यक्रम खत्म हो चुका है। बता दें कार्यक्रम होने से पहले ही, केन्द्र सरकार द्वारा G-20 समिट के लिए किए गए खर्चे को लेकर विवाद शुरू हो गया। राज्यसभा सदस्य और तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता साकेत गोखले ने कुछ मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए दावा किया कि भारत सरकार ने G-20 समिट के लिए बजट में आवंटित की गई राशि से 300 प्रतिशत ज्यादा खर्चा किया है ऐसा दावा किया है। इसके अलावा कांग्रेस ने भी G-20 सम्मेलन में कथित तौर पर खर्च हुई इस बड़ी रकम के बारे में ट्वीट करते हुए सरकार को घेरा और लेखा-जोखा की मांग की। दरसअल ये मामल केंद्रीय विदेश और संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी के एक ट्वीट से शुरू हुई है जो उन्होंने 4 सितंबर को किया था जिसमे सम्मेलन की तैयारियों के दौरान दिल्ली के सुधार में कितनी राशि खर्च हुई है इस ट्वीट में उसका लेखा-जोखा मौजूद है लेकिन आपको बताते चले कि मीनाक्षी लेखी जी के ट्वीट में कई चीजों की लागत शामिल नहीं हैं। इससे ये नहीं कहा जा सकता है कि लेखी ने जो राशि का ब्योरा दिया है वो G-20 की वास्तविक लागत है। मतलब ये भ्रम का बवंडर एक सौ प्रतिशत गलत है।
बता दें केंद्र सरकार ने अभी तक G-20 शिखर सम्मेलन के आयोजन में हुए खर्चे के आंकड़ों का खुलासा सरकार की तरफ से नहीं किया गया है।