ठाणे महानगर पालिका क्षेत्र में डॉ. काशीनाथ नाटग्रह हॉल में मंजु प्रीतम जी की लिखी पुस्तक “पल” जो फिर नहीं आते का विमोचन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में दूर-दूर से कई गणमान्य ने अपनी उपस्थिति दी । इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर मेट्रोपॉलिटन मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल के प्रमुख डॉ. राहुल पांडेय जी, ठाणे की प्रसिद्ध अनुग्रह क्लिनिक ठाणे से स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. आशा लता मेनन जी और डॉ. इंगेवाले ने शिरकत की और इसके साथ ही उन्होंने इस पुस्तक को खूब सहारना भी दी l इतना ही नहीं रोटरी इंटरनेशनल क्लब से परिवार के सदस्यों और मित्रों ने आकर इस कार्यक्रम में चार चाँद लगाते हुए इन पलों को विशेष और यादगार बनाया l इस कार्यक्रम का शुभ आंरभ मुंबई की प्रख्यात शिक्षाविद् और लोकोपकारी श्री जयेश मजियाठी ने दीप प्रज्वलित करके किया l
किसके हाथों हुआ पुस्तक का विमोचन?
बता दें कि मंजु प्रीतम और उनके पुत्र अविनाश व पुत्री वर्षा ने जुपिटर हॉस्पिटल के जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ विजय सुरासे जी के हाथों पुस्तक का विमोचन कराया।इस कार्यक्रम में शामिल हुए डॉ. सुरासे थाने से आए सभी मेहमानों ने मंजु प्रीतम जी का आभार व्यक्त कर उनकी लंबी उम्र के लिए कामना की। मंजू प्रीतम जी के पुत्र अविनाश जी ने इस कार्यक्रम का आयोजन तथा कार्यक्रम का सूत्र संचालन बेहद ही अच्छे ढंग से किया l अविनाश जी को रोटेरियन परितोष और टीना रुंगता जी ने रोटरी Paul Harris प्रतिथिष्ट अवार्ड से सम्मानित किया। इस कार्यक्रम में चार चाँद लगाते हुए रोटरी क्लब ऑफ मुंबई कांदिवली वेस्ट के पूर्व अध्यक्ष श्री भाविन सी टोपरानी जी ने एक गीत सभी दर्शकों के सामने प्रस्तुत करते हुए अपनी खुशी व्यक्त की l
मंजु प्रीतम जी की कविताएं
बता दें कि मंजु प्रीतम जी एक बेहद ही कुशल लेखिका है। जिन्होंने कई पुस्तकें भी लिखी है। लेकिन यह पुस्तक उनकी सबसे विशेष पुस्तकों में से एक है। जिसमें उन्होंने अपने कुछ पलों का उल्लेख किया है, जो उनके चेतन और अचेतन मन मे कहीं दबे थे । पुस्तक का सार है जीवन का हर पल एक कहानी या एक कविता बन सकती है। इस पुस्तक में मंजु जी की करीब 25 कविताएं प्रकाशित हुई है जो दिलों को छू जाने वाली है। इस कार्यक्रम में आए हुए सभी मेहमानों ने मंजु जी की सराहना की ओर उन्हें सम्मानित किया।
इस कार्यक्रम के दौरान अविनाश जी ने बताया कि उनकी मां बैंक ऑफ इंडिया में उच्च अधिकारी के पद पर कार्यान्वित थीं, जो अब सेवा निवृत्त हो चुकी है। उन्होंने अपने जीवन के सभी पलों को एकजुट कर उन्हें इस पुस्तक में कैद किया है। उन्हें गर्व है कि उन्होंने अपनी मां के अंदर छुपे गुणों को उजागर किया है। उनकी 78 वर्ष की आयु में अपनी माँ की यह पुस्तक उन्होंने लोगों के सामने लाने हेतु यह कार्यक्रम आयोजित किया है।
बचपन से थी साहित्य, कविता और नाटक में रुचि
मंजु प्रीतम जी ने बताया कि उन्हें बचपन से ही साहित्य, कविता और नाटक में रुचि थी। उन्होंने कहा आजादी के बाद सिंध हैदराबाद में जमींदारी और शाने शौकत छोड़ कर उनके पिताजी को उतर प्रदेश के लखनऊ में अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करनी पड़ी। लखनऊ की उर्दू की शेर ओ शायरी और वहाँ की नज़ाकत और तकलुफ्फ उन्हें बहुत पसंद थी । वहां लखनऊ ऑल इंडिया रेडियो प्रोग्राम्स में भाग लिया करती थी। जिसके बाद वे कलकत्ता आ गए वहां भी उन्होंने इंटर यूनिवर्सिटी, नाटिका, ड्रामा में भाग लिया। उन्होंने कहा कि बैंक की उच्च अधिकारी होने के साथ साथ एक बेटी, मां, बहु पत्नी के विभिन्न कर्तव्य बखुभी से निभाए । जिसके कारण उन्हें साहित्य कविता और निजी रुचियों के लिए ज्यादा समय नहीं मिलता था। परंतु सेवा निवृत्त के बाद उन्हें वापस अपने काव्य संसार में रहने का मौक़ा मिला। अपने अनेक पल जो उनके चेतन और अचेतन मन में दबे थे। ऐसे कुछ पलों को ही उन्होंने कागज़ पर उतार कर के इस काव्य संग्रह के रूप में इस पुस्तक में कैद कर दिया। जिसका नाम है “पल” जो फिर नहीं आते
आज मंजु प्रीतम जी के बेटे अविनाश और बेटी वर्षा के प्रयासों से यह पुस्तक विमोचन का एक भव्य और सफल कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह उनके लिए बहुत ही भाग्यशाली और भावपूर्ण पल है। उन्होंने बताया कि जल्द ही उनकी दूसरी पुस्तक का भी विमोचन होने वाला है। जो वो लोगों के सामने जल्द ही प्रस्तुत करेंगी।