समलैंगिक विवाह को क़ानूनी मान्यता दी जाएगी या नहीं इस पर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला हैं l समलैंगिक संबंध अपराध के दायरे से बाहर होने के पांच साल बाद अब समलैंगिक विवाह पर बहस चल रही है l आज सुप्रीम कोर्ट समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाएगी l बता दें संविधान पीठ ने 11 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने जोर दिया कि उनकी शादी को कानूनी मान्यता मिले। परन्तु इसके विरोध में केंद्र सरकार और सात राज्यों थी l केंद्र सरकार ने कहा था कि वह शादी का दर्जा दिए बिना समलैंगिक जोड़ों को कुछ अधिकार देने पर विचार कर सकती है।
जानकारी के लिए बता दें कि स्त्री से स्त्री और पुरुष से पुरुष की शादी को कानूनी मान्यता दी जाए या नहीं? पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने लगातार 10 दिन तक सुनवाई के बाद 11 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था l चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली इस बेंच में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस. रविंद्र भट, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल थे l
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि 14 दिसंबर साल 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से जुड़ी दिल्ली हाईकोर्ट समेत अलग-अलग अदालतों में दायर याचिकाओं को अपने पास ट्रांसफर करने की मांग पर केंद्र से जवाब मांगा था l 25 नवंबर को इससे पहले भी दो अलग-अलग समलैंगिक जोड़ों की याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस भेजा था l सुप्रीम कोर्ट ने अलग-अलग अदालतों में दाखिल याचिकाओं को इस साल 6 जनवरी को अपने पास ट्रांसफर कर लिया था l
क्या हैं समलैंगिक जोड़ो की मांगे
बता दें स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 को एक याचिका में जेंडर न्यूट्रल बनाने की मांग की गई थी l ताकि किसी व्यक्ति के साथ उसके सेक्सुअल ओरिएंटेशन की वजह से भेदभाव न किया जाए l समलैंगिकों की ओर से दाखिल इन याचिकाओं में स्पेशल मैरिज एक्ट, फॉरेन मैरिज एक्ट समेत शादी से जुड़े कई कानूनी प्रावधानों को चुनौती देते हुए समलैंगिक विवाह को अनुमति देने की मांग की गई थी l समलैंगिकों ने ये भी मांग की थी कि अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने का अधिकार LGBTQ+ (लेस्बियन, गे, बायसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर और क्वीर) समुदाय को उनके मौलिक अधिकार के हिस्से के रूप में दिया जाए l