देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंद्रा गाँधी के हत्यारों को फांसी दी गयी थी l इंद्रा गाँधी की हत्या में सतवंत सिंह और केहर सिंह शामिल थे l आपको बता दें कि बेअंत सिंह और सतवंत सिंह दोनों ही इंद्रा गाँधी के सिक्योरिटी गार्ड्स थे l ये दोनों इंद्रा गाँधी द्वारा चलाये गए “ऑपरेशन ब्लू स्टार” से नाराज थे l इसी नाराजगी के कारण उन्होंने 31 अक्टूबर 1984 को सरकारी आवास पर इंद्रा गाँधी पर गोली चला दी l बेअंत सिंह को उसी वक़्त मौके पर अन्य सुरक्षा कर्मियों ने गोली से मार दिया l परन्तु केहर सिंह इंद्रा गाँधी पर गोली चलाने में शामिल नहीं था l लेकिन उसे हत्या की साजिश रचने का दोषी पाया गया था l
इंद्रा गाँधी की हत्या के पीछे की वजह :
जानकारी के लिए बता दें कि 31 अक्टूबर 1984 की सुबह कार्यालय पहुंची l उन पर एक डॉक्यूमैंट्री बनाने पीटर उस्तीनोव आए हुए थे l दोपहर में उनकी पूर्व ब्रिटिश पीएम जेम्स कैलाहन के साथ मीटिंग तय थी। वह कार्यालय से बाहर निकली और वहां खड़े अधिकारियों से चर्चा कर ही रही थी कि अचानक से बेअंत सिंह ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर से इंद्रा गाँधी पर तीन गोलियां चलाई l
आपको बता दे कि बेअंत सिंह इंद्रा गाँधी का ही सिक्योरिटी गार्ड था l बेअंत सिंह ने वही खड़े सतवंत सिंह से चिल्लाकर ज़ोर से कहा- “देख क्या रहे हो ? गोली चलाओ” तभी सतवंत सिंह ने अपनी ऑटोमैटिक कार्बाइन की सभी 25 गोलियां इंदिरा गांधी के ऊपर चला दीं l वहां खड़े अन्य सुरक्षाकर्मियों ने बेअंत सिंह और सतवंत सिंह को पकड़ लिया परन्तु भागने की कोशिश में बेअंत सिंह मारा गया l सतवंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया l
इंद्रा गाँधी को तुरंत एम्स हॉस्पिटल ले जाया गया l परन्तु 4 घंटे बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया l बता दें कि इंद्रा गाँधी से उनके ये दो सुरक्षाकर्मी “ऑपरेशन ब्लू स्टार” का बदला लेना चाहते थे l सिखों के पवित्र स्थल स्वर्ण मंदिर में खालिस्तानी आतंकियों के खिलाफ सेना की मदद से इंदिरा द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ में सैकड़ों लोग मारे गए थे l इंद्रा गाँधी के हत्यारे केहर सिंह और बलवंत सिंह पर भी मुकदमा चला l क्योंकि वो सतवंत के साथ हत्या की साजिश रचने वाले थे l परन्तु बाद में बलवंत सिंह सबूतों के अभाव के कारण रिहा हो गया l
अदालत ने इंद्रा गाँधी की हत्या करने वाले सतवंत सिंह और हत्या की साजिश रचने वाले केहर सिंह को मौत की सजा सुनाई l इंद्रा गाँधी की मौत के करीब पांच साल बाद सतवंत सिंह (54 साल) और केहर सिंह (26 साल) को 6 जनवरी 1989 को तिहाड़ जेल में फांसी की दे दी गई l बाद में उन दोनों के शव उनके परिजनों को भी नहीं भेजे जेल प्रशासन ने ही उन दोनों का अंतिम संस्कार किया l