जानिए राम नवमी की कथा और शुभ मुहूर्त

आज राम नवमी है और हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को ही मनायी जाती है l जैसा कि आप सब लोग जानते हैं कि हिन्दू पौराणिक कथाओ के अनुसार भगवान राम का जन्म चैत्र माह के शुल्क पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था l इसलिए हर साल इस दिन को भगवान राम के जन्मदिन के रूप को मनाया जाता है l इस बार राम नवमी इस वर्ष गुरुवार 30 , मार्च को मनायी जा रही है l रामनवमी का शुभ मुहूर्त 11बज कर 11 मिनट पर शुरू होकर 01 बज कर 40 मिनट पर समाप्त होगा l जैसा कि आप लोग जानते है कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि है l अयोध्या में राम नवमी बहुत धूमधाम और विशेष सामारोह के रूप में मनायी जाती हैं l दूर दूर से श्रद्धालु अयोध्या में राम नवमी मनाने आते है l

जैसा कि आप लोग जानते है कि पौराणिक कथा अनुसार, भगवान राम, मां सीता और लक्ष्मण वनवास के दौरान जंगल में भटक रहे थे l चलते चलते भगवन राम थक गए जिससे उन्होंने थोड़ा विश्राम करने का विचार किया। विश्राम करने के लिए तलाश के दौरान उन्हें एक बुढ़िया की कुटिया दिखी l कुटिया में जब राम, सीता और लक्ष्मण पहुंचे तो देखा कि वह सूत कात रही थी। जैसे ही बुढ़िया ने देखा तो आवभगत में लग गई और विश्राम करने को कहा और उसने राम, सीता और लक्ष्मण को भोजन करने का आग्रह किया। इस पर भगवान राम ने बुढ़िया से कहा-माई मेरा हंस भूखा है, पहले इसके लिए दो मोती दे दो। ताकि इसके बाद मैं मैं भी भोजन कर सकूं। परन्तु बुढ़िया के लिए काफी मुश्किल वक्त था क्योंकि उसके पास मोती नहीं थे जो वो भगवान राम के हंस को खिला सके l बुढ़िया दौड़ती हुई राजा के पास गयी और राजा से मोती उधार मांगने लगी l राजा यह जानता था कि बुढ़िया दो मोती वापस लौटाने में सक्षम नहीं है तो पहले इनकार किया। कई बार अनुरोध करने के बाद राजा ने बुढ़िया पर तरस खाकर मोती दे दिए। बुढ़िया ने हंस को मोती खिला दिया, जिसके बाद भगवान राम ने भी भोजन ग्रहण किया। भगवान प्रसन्न होकर बुढ़िया के आंगन में एक मोतियों का पेड़ लगा गए। एक बार पेड़ से मिले मोती को बुढ़िया समेटकर राजा के पास ले गई। हैरान राजा ने पता किया कि आखिर बुढ़िया के पास इतने मोती कहां से आए। राजा को मालूम हुआ कि बुढ़िया के आंगन में पेड़ है, जिसके बाद राजा ने वह पेड़ ही अपने आंगन में मंगवा लिया। लेकिन राजा के आंगन में आते ही पेड़ पर कांटे उगने लगे। एक दिन उस पेड़ का एक कांटा रानी के पैर में चुभा गया। राजा परेशान होकर दोबारा वह पेड़ बुढ़िया के आंगन में लगवा दिया। प्रभु श्री राम की कृपा से पेड़ में फिर से मोती लगने लगें। अब जब पेड़ से मोती गिरता बुढ़िया उसे उठाकर प्रभु के प्रसाद के रूप में सभी को बांट देती थी। इसलिए ऐसी मान्यता है कि नवरात्री के दिनों में आप जो नहीं कार्य करते है उसका फल आपको जरूर मिलता है l

जैसा की आप सभी जानते है कि हिंदू धर्म में पूजा के बाद हवन करने का विशेष महत्व माना गया है। हवन करने से सभी देवी देवता प्रसन्न होते हैं जिससे आपको पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है। मान्यता है कि कोई भी व्रत हो इसका समापन हवन से करना चाहिए। कहते हैं नवरात्रि के अंतिम दिन हवन करने से आपको पूरे नौ दिन के व्रत का संपूर्ण लाभ प्राप्त हो जाता है। हवन के बाद कन्या पूजन किया जाता है ।

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