महा रुद्राभिषेक 30 दिवसीय भव्य आयोजन का शुभारभ।

नई दिल्ली- शिव साधिका मां विश्वरूपा जी के सानिध्य में महा रुद्राभिषेक 30 दिवसीय भव्य आयोजन का शुभारभ बड़ी धूमधाम से किया गया।
एक साथ कई भक्तो ने बड़े उत्साह हर्षोल्लास के साथ रुद्राभिषेक किया,.5.ब्रह्मण देवताओं द्वारा यह आयोजन किया गया जिसमे पूरे माह हेतु यजमानों के द्वारा संकल्प लिए गए,साथ ही साथ अमेरिका,बनारस,कानपुर से भी यजमानों ने ऑनलाइन जुड़कर ने रुद्राभिषेक कराकर शिव भगवान का आशीर्वाद प्राप्त किया।

मीडिया से बात करते हुए शिव साधिका मां विश्वरूपा जी ने रुद्राभिषेक के महत्व को बताते हुए कहा श्रावण मास में आशुतोष भगवान शिव की उपासना में रुद्राष्टाध्याई का विशेष महत्व बताया गया है। शिव पुराण में सन कादी ऋषियों के प्रश्न करने पर स्वयं भगवान शिव ने रुद्राष्टाध्याई मंत्रो द्वारा अभिषेक का महात्म्य बतलाते हुए कहा है कि मन ,कर्म ,तथा वाणी से परम पवित्र श्रावण मास में रुद्राभिषेक करना चाहिए।इससे भगवान शिव की कृपा से मनुष्य सभी प्रकार की कामनाएं पूर्ण होती हैं। वायु पुराण में आया है कि रुद्राष्टाध्याई के नमक और चमक तथा पुरुषुक्त का प्रतिदिन पाठ करने से मनुष्य ब्रह्म लोक मै प्रतिष्ठा प्राप्त करता है।


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रुद्राभिषेक करने से , राहु,केतु, ग्रह की शांति होती है।रुद्राभिषेक करने से काल सर्प दोष,रोग निवारण ,मानसिक तनाव से निजात मिलती है। रुद्राभिषेक करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है,श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को अपने और अपने परिवार के नाम से संकल्प कराकर भगवान शिव का रुद्राभिषेक कराने से किसी भी प्रकार की कोई नकारात्मक ऊर्जा मन एवम घर में प्रवेश नहीं करती और किसी भी प्रकार का कोई रोग उत्पन्न नहीं होता है।

रुद्राभिषेक के विभिन्न पूजन के लाभ इस प्रकार हैं जैसे जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है, असाध्य रोगों को शांत करने के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें, भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें, लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें, धनवृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें, तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है, इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है, पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें, रुद्राभिषेक से योग्य तथा विद्वान संतान की प्राप्ति होती है, ज्वर की शांति हेतु शीतल जल/ गंगाजल से रुद्राभिषेक करें, सहस्रनाम मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है,

प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जाती है, शकर मिले दूध से अभिषेक करने पर जड़बुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है, सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है, शहद के द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर हो जाती है, पातकों को नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से रुद्राभिषेक करें, गोदुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।


पुत्र की कामना वाले व्यक्ति शकर मिश्रित जल से अभिषेक करें। ऐसे तो अभिषेक साधारण रूप से जल से ही होता है।
शिवलिंग का अभिषेक आशुतोष शिव को शीघ्र प्रसन्न करके साधक को उनका कृपापात्र बना देता है और उनकी सारी समस्याएं स्वत: समाप्त हो जाती हैं। अत: हम यह कह सकते हैं कि रुद्राभिषेक से मनुष्य के सारे पाप-ताप धुल जाते हैं।

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