"Main Ladega" is a good film made with less resources.

कम संसाधनों में बनी है अच्छी फिल्म “मैं लड़ेगा”

इस हफ्ते कई फिल्म रिलीज हुई है उसमें एक फिल्म है “मैं लड़ेगा” हालांकि इसमें कोई बड़ा स्टार कास्ट नहीं है लेकिन इस फिल्म की कहानी आपके अंदर से झझकोर देगी इस फिल्म का हीरो घर और समाज दोनों से एक साथ लड़ रहा है इस तरह की फिल्में बहुत दिनों के बाद आई है जिसमें एक युवक की संघर्ष की कहानी दिखाई गई है

फिल्म की कहानी आकाश नाम के एक लड़के की है. वो अपने मां, पिता और छोटे भाई के साथ एक छोटे शहर में रहता है. घर में हिंसा का माहौल है. पिता बात-बात पर उसकी मां को पीटता है. जानवरों सा सलूक करता है. ये देख, डर के मारे वो अपने छोटे भाई के साथ खुद को एक कमरे में बंद कर लिया करता है. उसकी पढ़ाई खराब हो रही है. पैसों की तंगी भी है. लेकिन किसी तरह आकाश की मां उसे मिलिट्री स्कूल भेज देती है. पहले तो आकाश वहां भी डरा सहमा सा रहता है. लेकिन बाद में वो पढ़ाई में मन लगाता है और एक ऐसा लक्ष्य बनाता है जिससे उसकी जिंदगी बदल सकती है. स्कूल में होने वाली एक बॉक्सिंग चैंपियनशिप में वो हिस्सा लेता है. इसमें जीतने वाले को 1 लाख रुपये का ईनाम मिलना है. आकाश को ये चैंपियनशिप हर हाल में जीतनी है. तभी वो अपने भाई की स्कूल फीस दे सकेगा और खुद पर होने वाले दमन का मुंहतोड़ जवाब दे सकेगा. उसे बॉक्सिंग चैंपियन बनाने में उसकी मदद करते हैं, एक क्लासमेट और एक बॉक्सर गुरनाम.

कुछ दिन पहले आई थी फिल्म हनुमान जो बहुत ही कम बजट और संसाधनों में बनी थी “मैं लड़ेगा” भी कम संसाधनों और बजट में बनी हुई फिल्म है लेकिन फिल्म का निर्देशन और फिल्म में यह कमी नहीं दिखती है कम बजट में भी फिल्म अपने आप में पूरा है कुछ सीन तो इतने अच्छे हैं कि आपको चौंकाते हैं निर्देशक ने फिल्म में बहुत मेहनत की है जो कई सीन्स में दिखाई देता है

फिल्म में मुख्य भूमिका आकाश प्रताप सिंह ने किया है, जो इस फ़िल्म के राइटर भी हैं. हालांकि वह नए हैं पहली बड़ी फिल्म है इसके बावजूद वे खुद को अच्छा एक्टर साबित कर जाते हैं. चाहे पिता के आतंक में जीता एक टीनएजर हो, चारों तरफ दमन का सामना करता युवक हो हर जगह उनकी इमोशन आपको झझकोर देगी आकाश की मां का रोल करने वाली ज्योति गौबा, पिता का रोल करने वाले अश्वथ भट्ट और गंधर्व दीवान जैसे कलाकारों ने बढ़िया एक्टिंग की है. पंजाबी सिनेमा के बैकग्राउंड से आने वाले गौरव राणा ने पहली हिंदी फीचर डायरेक्ट की है. फिल्म पर उनकी पकड़ दिखाती हैं. फिल्म की ओपनिंग अच्छी है, सेकेंड हाफ में बॉक्सिंग ट्रेनिंग वगैरह पर ज्यादा फोकस करती है. बहुत दिनों के बाद कोई अच्छी कैंपस मूवी आई है. हालांकि फिल्म के डायलॉग्स कुछ जगह हल्के पड़ते हैं. लेकिन फिल्म में मिलिट्री स्कूल वाले सीन्स बहुत अच्छे बन पड़े हैं, फिल्म में बॉक्सिंग वाले सीन भी दर्शकों को रोमांचित करते हैं बहुत दिनों के बाद ऐसी फिल्म आई है जो ‘कयामत से कयामत’ जैसी मूवी की याद दिलाती है

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