महिलाओं के पीरियड्स लीव पर स्मृति ईरानी ने किया साफ़ इनकार कहा- 'मासिक धर्म कोई बाधा नहीं है'

महिलाओं के पीरियड्स लीव पर स्मृति ईरानी ने किया साफ़ इनकार कहा- ‘मासिक धर्म कोई बाधा नहीं है’

भारत में कुछ दिनों से एक ऐसे मुद्दे को लेकर बहस छिड़ी हुई हैं जिसका ताल्लुक केवल महिलाओं से हैं l महिलाओं को पीरियड्स में लीव मिलनी चाहिए या नहीं, इस मुद्दे को लेकर भारत के साथ सारे देशभर में राजनीति गरमाई हुई हैं l बहस तब छिड़ी जब महिलाओं को पीरियड्स में लीव के दौरान छुट्टी पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यसभा में कुछ ऐसा कहा जिसे सुन कर सब दंग रह गए जो सोशल मीडिया पर सुर्खियों में बना हुआ हैं l

स्मृति ईरानी ने पीरियड्स लीव पर दिया जवाब-

बता दें कि बीजेपी सरकार से राज्यसभा में पूछा गया कि क्या सरकार महिलाओं को माहवारी या पीरियड्स के दौरान महिलाओं को पेड लीव देने के लिए नियम बनाने जा रही है। जिसके बाद इस सवाल के जवाब पर बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कुछ ऐसा कहा जिससे अब देशभर में बहस छिड़ गई है। भारत में सबसे पहले किस राज्य में पीरियड लीव शुरू किया था।

आइए जानते है क्या हैं पूरा मामला?

जानकारी के लिए बता दें कि राज्यसभा में स्मृति ईरानी ने कहा था कि “एक मासिक धर्म वाली महिला के रूप में, मासिक धर्म और मासिक धर्म चक्र कोई बाधा नहीं है। यह महिलाओं की जीवन यात्रा का एक स्वाभाविक हिस्सा है। उन्होंने कहा कि हमें ऐसे मुद्दों का प्रस्ताव नहीं देना चाहिए जहां महिलाओं को समान अवसरों से वंचित किया जाता है, सिर्फ इसलिए क्या मासिक धर्म नहीं होता है मासिक धर्म के प्रति एक विशेष दृष्टिकोण रखता है।”

दिलचस्प है कि स्मृति ईरानी का ये बयान तब आया है, जब पिछले महीने नवंबर में सरकार ने मेन्स्ट्रुअल हाइजीन पॉलिसी को लेकर एक ड्राफ्ट- DRAFT NATIONAL MENSTRUAL HYGIENE POLICY, 2023- जारी किया था और यहां पर थोड़ा विरोधाभास दिखता है l अगर ड्राफ्ट को पढ़ें तो इसमें सरकार माहवारी के दौरान सपोर्ट लीव देने को प्रोत्साहन देती है l

सैनिटरी नैपकिन पर पूछा यह सवाल

बता दें कि सरकार से राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने सवाल किया था कि “क्या सैनिटरी नैपकिन में हानिकारक केमिकल के इस्तेमाल को रोकने के लिए कोई कदम उठाने पर योजना बना रही है।” स्मृति ईरानी ने इस सवाल पर अपना तर्क रखते हुए कहा कि “यह सवाल मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़ा है जो महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के दायरे में नहीं आता है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से उपलब्ध कराए गए सैनिटरी पैड के लिए ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है।”

आइए जानते हैं मेन्स्ट्रुअल हाइजीन पॉलिसी को लेकर क्या कहता हैं ड्राफ्ट?

बता दें कि पॉलिसी इंटिग्रेशन शीर्षक के 4.7.3 बिंदु में बताया गया है कि “शैक्षिक संस्थाओं और कार्यस्थलों पर सबको साथ लेना, वर्कफोर्स की अलग-अलग जरूरतों को समझना, सभी की प्रोडक्टिविटी और सेहत का खयाल रखना, काम करने के फ्लेक्सिबल ऑप्शन- जैसे कि वर्क फ्रॉम होम और सपोर्ट लीव का प्रावधान करना है, ताकि माहवारी (Menstruation) के दौरान उनकी खास जरूरतों का ध्यान रखा जा सके.” इस ड्रॉफ्ट में ये भी कहा गया है कि इस बात पर जोर दिया जाना जरूरी है कि ऐसी व्यवस्था सबको मिलनी चाहिए, ताकि मेन्स्ट्रुअल साइकल के आधार पर प्रॉडक्टिविटी को लेकर गलत धारणाएं बनाई जाती हैं, उन्हें रोका जा सके l

पीरियड्स लीव देने वाला पहला राज्य था बिहार

राज्यसभा में आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने एक सवाल पूछा था कि क्या सरकार ने महिला कर्मचारियों को निश्चित संख्या में छुट्टियां देने के लिए कंपनियों के लिए अनिवार्य प्रावधान बनाने के लिए कोई उपाय किया। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में बिहार पीरियड्स के लिए छुट्टी की नीति बनाने वाला पहला राज्य था।

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