Swami Amogh Leela Das apologizes for his objectionable statement on Swami Vivekananda and Guru Ramakrishna Paramhansa

स्वामी विवेकानंद और गुरु रामकृष्ण परमहंस पर आपत्तिजनक बयान के लिए स्वामी आमोघ लीला दास ने मांगी माफ़ी

स्वामी विवेकानंद और गुरु रामकृष्ण परमहंस पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले इस्कॉन मंदिर सोसाइटी से जुड़े स्वामी आमोघ लीला दास ने अपने इस बयान के लिए माफी मांग ली है l उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर अपनी गलती के लिए क्षमा मांग ली है l शनिवार को बयान जारी कर आमोघ लीला दास ने कहा,’हाल ही में विवेकानंदजी पर मांसाहार को लेकर दिए गए बयान से जिन लोगों और संतों को आघात पहुंचा है, यह वीडियो उनसे क्षमा मांगने के लिए है l मेरी वाणी से जिसे भी आघात पहुंचा, मैं उससे क्षमा चाहता हूं l’

सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर कर उन्होंने कहा कि ‘मेरी मंशा ऐसी बिल्कुल भी नहीं थी कि मैं ऐसा कुछ बोलूं, जिससे किसी का ह्रदय दुखे. किसी ने प्रश्न-उत्तर सत्र में इस बारे में सवाल किया मैंने कुछ ऐसा बोल दिया, जिसे सुनने वालों को दुख पहुंचा l अपनी वाणी के लिए मैं ह्रदय से क्षमा चाहता हूं. भविष्य में मैं ध्यान रखूंगा कि मुंह से ऐसा कुछ भी ना निकले, जिससे किसी को दुख पहुंचे l’

क्या है पूरा मामला ?

आपको बता दें कि इस्कॉन से जुड़े स्वामी आमोघ लीला दास का सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो गया था, जिसमें वह स्वामी विवेकानंद के मछली खाने को लेकर सवाल उठाते हुए नजर आ रहे थे l इस वीडियो में स्वामी आमोघ लीला दास ने कहा था कि एक सिद्धपुरुष कभी भी किसी जानवर को नुकसान नहीं पहुंचाता l विवाद बढ़ने के बाद इस्कॉन मंदिर ने बयान जारी करते हुए कहा था कि स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस की टिप्पणी को लेकर आमोघ लीला दास पर एक महीने का बैन लगाया जा रहा है l

अमोघ लीला दास ने कहा- अगर विवेकानंद मछली खाएं तो,,,,,,?

बता दें कि अपने एक प्रवचन के दौरान अमोघ लीला दास ने कहा था कि क्या कोई दिव्यपुरुष कोई जानवर को मारकर खाएगा? मछली को भी दर्द होता है ना? और अगर विवेकानंद मछली खाएं तो क्या एक सिद्धपुरुष मछली खा सकता है? नहीं खाएगा l सिद्धपुरुष के ह्रदय में करुणा होती है l ‘स्वामी विवेकानंद के अलावा उन्होंने उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस के विचार ‘जातो मत, ततो पथ’ (जितने विचार, उतने रास्ते) पर भी टिप्पणी की और कहा कि हर रास्ता एक ही मंजिल तक नहीं जाता है l’

स्वामी विवेकानंद का मांसाहार पर क्या विचार था?

बता दें कि स्वामी विवेकानंद ने कई बार मांसाहार पर विचार रखे थे l शिष्यों ने भी अपने गुरू यानी स्वामी विवेकानंद से मांसाहार पर सवाल किए थे, जिस पर उन्होंने अपनी राय जाहिर की थी l एक बार शिष्य ने स्वामी से पूछा था कि क्या मछली और मांस का सेवन जरूरी है? इस पर स्वामी विवेकानंद ने शिष्य को मांस और मछली खाने की सलाह दी थी l स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि अगर ऐसा करने से किसी तरह का कोई नुकसान पहुंचता है तो मैं उसका खयाल रखूंगा l स्वामी विवेकानंद ने शिष्य से आगे कहा था कि हमारे देश की भीड़ को देखो, हर किसी चेहरे पर उदासी और दिल में साहस और उत्साह की कमी नजर आती है. इन लोगों के बड़े-बड़े पेट हैं और हाथ-पांव में बिल्कुल भी जान नहीं है l यह छोटी-छोटी बातों पर डरने वाले कायरों का एक समूह है l

स्वामी विवेकानंद के इसी विचार पर स्वामी आमोघ लीला दास ने कहा कि एक सिद्धपुरुष कभी भी किसी जानवर को नुकसान नहीं पहुंचाता l अगर विवेकानंद मछली खाएं तो क्या एक सिद्धपुरुष मछली खा सकता है? नहीं खाएगा l सिद्धपुरुष के ह्रदय में करुणा होती है l जिसके बाद लोग उनसे निराश हो गए l बाद में स्वामी आमोघ लीला दास को अपने इस आपत्तिजनक बयान पर माफी मांगनी पड़ी l

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