कोरा कागज़ :- इला पचौरी

कोरा कागज़ लिए बैठी थी,दिल में बहुत कुछ दबाए बैठी थी,कभी चार हर्फ़ लिखती, और दो हर्फ़ मिटा देती…कभी सोच सोच लिखती, कभी अनर्गल छाप…

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