raghav chadha

आखिर क्यों छीना राघव चड्डा से उनका बंगला

साल 2022 मार्च में राघव चड्डा पंजाब से राज्यसभा के लिए चुने गए l इसके बाद 6 जुलाई 2022 को टाइप-VI बंगला, सी-1/12, पंडारा पार्क आवंटित किया गया था। पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा इसका आदेश 18 अप्रैल को दिया गया था। इसके बाद, पिछले साल ही 29 अगस्त को चड्ढा ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को टाइप-VII आवास के आवंटन का अनुरोध करते हुए एक प्रतिवेदन सौंपा। उनके इस अनुरोध पर विचार किया गया फिर 9 सितम्बर 2022 को पहले के आवास के बदले में उन्हें राज्यसभा पूल से बंगला नंबर एबी-5, पंडारा रोड, नई दिल्ली आवंटित किया गया। जिसके बाद 9 नवंबर, 2022 से राघव अपने माता-पिता के साथ उसमें रहने लगे। अब साल 2023 मार्च को उन्हें एक पत्र मिला, जिसमें आवंटन रद्द करने की बात कही गई। बता दें कि यह आदेश राज्यसभा सचिवालय की ओर से आया l इसका विरोध करने के लिए राघव कोर्ट पहुंच गए। कोर्ट में उन्होंने अपनी मांग की ये बंगला किसी और को आवंटित नहीं किया जाए। इसके साथ ही चड्ढा ने ‘मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न’ के लिए प्रतिवादी से 5.50 लाख रुपये के हर्जाने की भी मांग की। बता दें कि राघव की अर्जी पर दिल्ली की अदालत 10 जुलाई को फैसला लेगी। अदालत तय करेगी कि राघव चड्डा की अर्जी सुनवाई योग्‍य है या नहीं। राघव ने बंगले का आवंटन रद्द किए जाने के आदेश को चुनौती दी है। बता दें कि 3 मार्च 2023 के एक पत्र को राघव चड्डा ने चुनौती दी थी l राज्यसभा सचिवालय की ओर से इसमें उन्हें आवंटित बंगले का आवंटन रद्द कर दिया गया था। वकील ने सचिवालय की ओर से अर्जी की पोषणीयता पर आपत्ति जताई। बता दें कि इस मामले में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सुधांशु कौशिक ने एक जून को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले को 10 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया। अप्रैल में अदालत ने सचिवालय को निर्देश दिया था कि आवेदन के लंबित रहने तक ‘कानून की निर्धारित प्रक्रिया के बिना’ चड्ढा को बंगले से बेदखल नहीं किया जाए l

राघव चड्ढा का इस क्‍या कहना है ?

बता दें कि राघव चड्डा का आरोप था कि राज्यसभा सचिवालय की ओर से आवंटन रद्द करने की कार्रवाई सरकार के इशारे पर हुई है। राघव चड्डा को यह सरकारी बंगला राज्यसभा के उपसभापति ने उचित प्रक्रिया के बाद आवंटित किया था। यह आवंटित बंगला रद्द करना कोई भी प्रशासनिक फैसला नहीं था l BJP के बदला लेने का तरीका है l आगे कहा कि राज्यसभा में उनकी निडर आवाज, उनके ऊपर दबाव बनाने और मजबूर करने के लिए यह कदम उठाया गया है। यह बंगला किसी अन्य को भी अलॉट नहीं किया गया है। उन्होंने इस मामले में राज्यसभा सचिवालय से मानसिक पीड़ा और परेशानी के लिए 5,50,000 रुपये हर्जाने की भी मांग की है।

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