दिल्ली विधानसभा में ऐसा पहली बार होगा की सत्ता पक्ष और विपक्ष में दो महिलाएं आमने सामने होंगी। भाजपा ने रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाया वहीं ‘आप’ के तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ आप नेता आतिशी को नेता प्रतिपक्ष चुना। जिससे अब देखना यह होगा की उनकी भूमिका क्या होगी और इसका दिल्ली की सियासत पर क्या असर पड़ेगा?
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रचा इतिहास, आतिशी बनीं नेता प्रतिपक्ष
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री रह चुकीं आतिशी मर्लेना, अपने कार्यकाल में सशक्त नेतृत्व का प्रदर्शन कर अब दिल्ली विधानसभा में विपक्ष की भूमिका निभाते नज़र आएंगी। आतिशी ने कालका जी सीट पर अपनी जीत सुनिश्चित की, जिससे पार्टी में उनकी स्थिति और भी मजबूत हुई। उनकी इस सफलता को देखते हुए ही विधायक दल की बैठक में उनके नाम का प्रस्ताव रखा गया। पहली बार किसी महिला को अहम पद सौंपा गया है, जिससे महिलाओं के लिए राजनीति में आगे बढ़ने का नया रास्ता खुलेगा। आतिशी ने अपनी नियुक्ति पर खुशी जताते हुए कहा, “यह सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि सभी महिलाओं की जीत है। अब वक्त आ गया है कि महिलाएं राजनीति के हर क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराएं।” बतौर नेता प्रतिपक्ष, आतिशी अब सरकार के कामकाज पर सवाल उठाने और जनता की आवाज बुलंद करने की जिम्मेदारी निभाएंगी। उन्होंने कहा की वह जनता से जुड़े हर मुद्दे को प्रमुखता से उठाएंगी और सरकार से जवाब मांगेंगी। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आतिशी की यह नियुक्ति दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा बदलाव लाने वाली है। उनकी प्रशासनिक अनुभव व प्रभावी क्षमता उन्हें एक सक्षम विपक्ष नेता बनाने में मदद करेगी।
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राजनीति में महिला भागीदारी को मिलेगा प्रोत्साहन
आपको जानकारी के लिए बता दें की शिक्षा मंत्री के रूप में आतिशी ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कई बदलाव किए थे, उनका राजनीतिक सफर काफी प्रभावशाली रहा जिस कारण अब उनसे नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में सरकार की नीतियों पर गहरी निगरानी रखने की उम्मीद जताई जा रही है। दिल्ली में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए यह निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम बन सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को और बल मिलेगा और भविष्य में और अधिक महिलाएं नेतृत्वकारी भूमिकाओं में नजर आएंगी। आम आदमी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस फैसले का स्वागत किया और उम्मीद जताई है कि आतिशी विपक्ष के रूप में अच्छा प्रदर्शन करेंगी। अब सभी की निगाहें उन अगले कदम पर टिकी है। अब देखना यह होगा की क्या वह प्रभावशाली विपक्ष के रूप में उभरेंगी और क्या साथ ही वह विपक्षी दलों के लिए चुनौती बनेंगी? आने वाले दिनों में यह साफ हो जाएगा की राजनीति में महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा किधर रुख करेगी।