इंसानियत अभी जिंदा है

दो साल पहले कोरोना महामारी के दौरान कल्लू राम अपने परिवार के साथ दिल्ली से पलायन कर गया। कल्लू तब दिहाड़ी मजदूरी करता था और उसकी पत्नी सीता घरों में काम काज करती थी।‌ पांच साल के बेटे विक्की का सरकारी स्कूल में दाखिला भी हो गया था पर तभी स्कूल बंद हो गए और उनके आमदनी का जरिया भी। लिहाजा पति-पत्नी ने गांव जाना उचित समझा। अप्रैल 2022 में हिम्मत कर पुनः दिल्ली वापस आ गए और करोलबाग के टैंक रोड इलाके में कल्लू को एक 6×6 का कमरा मिल गया।

दो साल पहले जिस छोटी सी पोटली में अपना सारा कुनबा ले कर गए थे वो ही पोटली भर वापस आ गए। विक्की अब आठ साल का हो गया था और बेटी ढाई साल की पर कल्लू और सीता की स्थिति पहले ही जैसी थी अलबत्ता सीता को दो तीन घरों में काम मिल गया था। पर फिर भी राजेंद्रा प्लेस की झील के पास वह उदास बैठे हुए दिख जाते और बच्चे इधर उधर भागते दौड़ते रहते।‌

कुछ दिनों से एक महिला उनकी हालत देख रही थी, एक दिन सवेरे सवेरे उस से रहा नहीं गया और उसने उनकी उदासी और लाचारी का कारण पूछ लिया। तब सीता ने अपनी व्यथा सुनाई और कहा दीदी सर छिपाने के लिए पास में ही एक छोटा सा कमरा है पर दूसरी समस्याएं बहुत ज्यादा घेरे हुए है । मेरे मर्द को रोज़ सही से दिहाड़ी नहीं मिलती मुझे घरों से जितना पैसा मिलता है वह सब भाड़े में चला जाता। तंगहाली की वजह से खाना पकाने के कोई साधन भी नहीं है मिल जुल कर बच्चों का पेट भरता है पर सबसे अधिक अफ़सोस है, बेटे को दोबारा कहीं स्कूल में दाखिला नहीं मिल रहा। इत्तफाक से वह महिला ‘अपना परिवार ‘ नाम की एक स्वयं सेवी संस्था की संस्थापक निकली जो समाज सेवा में सक्रिय रूप से योगदान करती आ रही थी। नीता खुल्लर नाम की इस महिला ने ना केवल सीता को रसोई के लिए उचित साधन उपलब्ध कराएं जिसमें गैस चूल्हा, गैस सिलेंडर, कुकर, व अन्य बर्तन आदि शामिल थे बल्कि विक्की को इलाके के ही एक स्कूल में दाखिला भी करवा दिया। कल्लू के परिवार के लिए यह एक बड़ी राहत थी। कल्लू और सीता को आखिर संकट के बादल छटते नज़र आए। सब कुछ पटरी पर आता दिखाई देने लगा था, सीता को भी प्रसाद नगर के आस पास के घरों में काम काज मिल गए। अभी दो महीने ही हुए थे कि कल्लू के परिवार में एक और भूचाल आ गया।

28 जून को दिल्ली में झमाझम बारिश हो रही थी विक्की और उसके दोस्त बारिश में खेल कूद मस्ती के मूड में थे अचानक उनकी नज़र जामुन के पेड़ पर पड़ी और वे पत्थर फेंकने लगे। किसी का फैंका हुआ पत्थर विक्की की आंख में आकर ऐसा लगा उसकी आंख की पुतली फट गई।‌ विक्की दर्द से चीखता कर्राहाता कमरे की ओर भागा । मां-बाप में से कोई भी वहां नहीं था तो आस पड़ोस के लोग उसे पास के एक डॉक्टर पर ले गए, डाॅक्टर के उपचार से विक्की को कुछ आराम मिला।‌ पर अगले ही दिन उसकी आंख में सूजन आ गई, घबराई हुई सीता, फिर नीता खुल्लर के यहां पहुंची। 30 जून को नीता विक्की को नेत्र चिकित्सक को दिखाया, तब यह पता चला विक्की के कोर्नियां का पर्दा ही फट गया है जिसकी तुरंत सर्जरी होनी जरूरी है वरना आंख की रोशनी जा सकती है। जटिल सर्जरी होने की वजह से प्राइवेट अस्पताल में वह बहुत महंगा पड़ रहा था, तो दूसरी ओर सरकारी अस्पताल में ज्यादा समय लगने की आशंका थी।

नीता खुल्लर ने तुरंत अपनी टीम से सम्पर्क साधा तो एक सदस्य का बेटा नेत्र चिकित्सक ही निकला पर वह कहीं बाहर गया हुआ था फिर भी रिपोर्ट के आधार पर पता लगा कि जिस प्रकार की सर्जरी होनी है उसकी सुविधा सिर्फ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), गुरु नानक आई हॉस्पिटल और सौरफ आई हॉस्पिटल में मिल सकती है ! विक्की की सर्जरी के लिए देरी करना उसके के लिए घातक साबित हो सकता था विक्की के माता-पिता भी इतने सक्षम नहीं थे कि भागदौड़ कर मुकम्मल इलाज करवा सकें ! आखिरकार अपना परिवार की टीम और संस्थापक नीता खुल्लर ने विक्की की जिम्मेदारी ले ली ! उन्होंने अथक प्रयास करते हुए गुरु नानक आई हॉस्पिटल के सभी डाक्टरों व मैनेजमेंट से बात की, तीन दिन तक लगातार भागदौड़ करती रहीं ताकि विक्की की आंख बच जाए।

1 जुलाई 2022 को करोल बाग के विधायक को उन्होंने पत्र लिखकर मदद की गुहार की ! अपना परिवार की पूरी टीम एक जुट हो गई, उन्होंने सोशल मीडिया पर विक्की के इलाज के लिए आम जनता से धन राशि मुहैया कराने की अपील करी ताकि विक्की की सर्जरी शीघ्र से शीघ्र और अच्छे से अच्छी हो जाए। कुछ ही घंटों में दयावानों ने अपने दिल खोल दिए जिसमें नोएडा से मदरहुड क्लब की संस्थापक एकता सहगल मल्होत्रा, इला पचौरी, शालिनी मेहता, पुनम सक्सेना, लव लखनपाल, राजेन्द्र शर्मा, दुर्गा दास आदि अग्रणी रहे। विक्की के लिए देशभर से सैकड़ों लोगों की दुआएं और प्रार्थना जुड़ने लगी।‌ इस प्रकार के सामुहिक आशिर्वाद, शीर्ष डाक्टरों के अथक प्रयास से विक्की की सर्जरी रविवार 3 जुलाई को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में शाम 6 बजे शुरू हुई और देर रात 11बजे तक चलती रही। सर्जरी के दौरान नीता खुल्लर निरंतर अस्पताल में डटी रही और उनका साथ देने के लिए जनक पूरी से अनीता खत्री भी जुड़ गई। अगले दिन विक्की पर हुई सर्जरी को डाक्टरों ने कामयाब घोषित किया परन्तु उसकी आंखों की दो और सर्जरी बताई गई जो एक एक महीने के अंतराल में होनी है।

”अपना परिवार ” टीम की सभी दयावानो से अपील है कि वह यथासंभव योगदान कर इस बच्चे की आंखों की रोशनी वापस लाने में मदद करें। कई बार जीवन में ऐसी परिस्थितियां होती है कि हमें दूसरों के साथ, जो जरूरतमंद हैं , कदम से कदम मिलाना पड़ता है ! अपना परिवार का इतना ही कहना है अगर साथ मिलकर कोई लड़ाई लड़ी जाए तो जीत निश्चित होती है।अपना परिवार और उसकी संस्थापक नीता खुल्लर उन सभी की आभारी हैं जो विक्की के आगे आए और एक नेक काम में भागीदार बनें।

मुकेश भटनागर
सचिव, अपना परिवार

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