रक्षा और समुंदर

रक्षा और समुंदर का एक अजीब सा रिश्ता था। वोह रोज़ आती, समंदर किनारे कई घंटों तक बैठ कुछ कुछ बात करती और चली जाती। आस पास के लोगों को लगता कि शायद पागल हैं। किंतु जब देखते कि वह एक बहुत बड़ी गाड़ी में आती हैं,तो सोचते पागल कैसे हो सकती हैं।
कई बार रक्षा को ऐसा महसूस हुआ कि कोई है जो उसे देख रहा हैं, पर दूर दूर तक ऐसा कोई भी नहीं दिखता था उसे। रोज़ाना एक शख़्स दूर से उसे देखा करता था, सामने नहीं आता था।
एक शाम रक्षा जब समंदर किनारे आई, तो उसे वैसे ही बेचैनी होने लगी जैसे उस दिन हुई थी, जब वो यहाँ समय से पहुँच नहीं पायी था। रक्षा असमंजस में थी,कहीं फिर वैसा ही कुछ तो नहीं होने वाला। वह यहाँ वहां देखने लगी और पागलों की तरह दौड़ने लगी। आस पास के लोग सोच में पड़ गए की ये शांत स्वभाव की लड़की आज इतनी विचलित क्यों हो रही हैं। वह दौड़ते हुए चिल्ला रही थी , कोई मेरी मदद करो , कोई तो आगे आओ। कोई आगे ना आया और वह हताश होकर एक ओर दौड़ने लगी। दौड़ते दौड़ते वो समंदर किनारे बनी एक छोटी से झोंपड़ी में घुस गई। उसने कोने में पड़ा एक डंडा उठाया और वहां मौजूद एक शख्स को डंडे से पीटने लगी। वहीं ज़मीन पर एक लड़की लेटी हुई थी, वो बहुत घबराई हुई थी। रक्षा उस लड़की से बोली सौ नंबर पे कॉल करो और घबराओ मत। रक्षा उस शख़्स को पीटते पीटते बाहर ले आई जहां तमाशबीनों की भीड़ लगी हुई थी।
थोड़ी ही देर में पुलिस वहां पहुंच गई और उस सीरियल रेपिस्ट को पकड़ के ले गयी। आस पास के लोग हैरान रह गए कि रक्षा को कैसे पता चला ? तब पहली बार रक्षा ने बताया की वो महिला विंग की सीनियर पुलिस अफसर हैं और दो साल पहले उसे शक हुआ था कि इस झोंपड़ी में एक लड़की का रेप होने वाला है,उसने टीम से कहा भी वहां जाने के लिए किंतु, किसी ने रक्षा की बात नहीं मानी क्योंकि कानून सबूत मांगता है। थोड़े ही दिनों में वहां एक लड़की के बलात्कार की खबर आई। जब तक पुलिस कुछ कर पाती, वह बलात्कारी वहां से रफू चक्कर हो गया था।
उस दिन मैंने ठान ली थी इस रेपिस्ट को नहीं छोड़ूंगी। इसी कारण मैं यहाँ रोज आती और इस आदमी पर ध्यान रखती। आज जब मैं यहां आई तो यह मुझे दिखा नहीं और मुझे वही एहसास आज फिर हुआ।
आज ये पकड़ा गया , लेकिन आज भी कोई मदद करने नहीं आया।आज यह लड़की उसके चुंगल में थी,कल आप में से किसी की बच्ची भी वहां संकट में हो सकती थी। क्या ये हम सब की नैतिक ज़िम्मेदारी नहीं हैं कि अपनी बहन बेटियों की रक्षा करें और पुलिस की मदद करें, ऐसा कह कर रक्षा वहाँ से चली गयी।
उस दिन के बाद से उस समुंदर के किनारे कभी कोई अपराध नहीं हुआ।

एकता सहगल

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