What's in Chandrayaan-3? Know special through media report

चंद्रयान-3 में क्या है? खास जानिए मीडिया रिपोर्ट के जरिए

चंद्रयान-3 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष स्टेशन से 14 जुलाई को लॉन्च किया गया l देश के हर कोने कोने में इस समय बस चंद्रयान-3 ही गूंज रहा है l लोगो में हर तरफ केवल चंद्रयान-3 ही चर्चा का विषय बना हुआ है l बता दें चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बना देगी l चंद्रयान 3 मिशन में करीब 615 करोड़ रुपये का बजट खर्च हुआ है l

आपको बता दें कि भारत के हेवी लिफ्ट रॉकेट-एलवीएम3 ने बीते दिन 14 जुलाई को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 3,897.89 किलोग्राम वजनी चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान को लॉन्च किया l चंद्रयान-3 को चांद तक पहुंचने में करीब 42 दिन लगेंगे l पहले भी कई देश कोशिश करने में असफल रहे l चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बना देगी l इससे पहले 2019 में इजराइल और भारत का मिशन चंद्रयान दुर्घटनाग्रस्त हो गया , जबकि जापान से लैंडर-रोवर और यूएई से रोवर ले जाने वाला अंतरिक्ष यान 2022 में विफल हो गया था l जिसके बाद इसरो के वैज्ञानिकों ने कई परीक्षणों के बाद लैंडर के डिजाइन में सुधार किया है l

चंद्रयान-3 चांद पर कब पहुंचेगा?

बता दें कि चंद्रयान-3 को चांद तक पहुंचने के लिए 3.84 लाख किलोमीटर की दूरी तय करनी है l अंतरिक्ष यान द्वारा ले जाए गए लैंडर के 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है l तय तिथि तक लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए उतरना शुरू कर देगा l चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र को इसलिए चुना गया है क्योंकि चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव उत्तरी ध्रुव की तुलना में बहुत बड़ा है l इसके आस-पास छाया वाले क्षेत्रों में पानी की मौजूदगी की संभावना हो सकती है l इसके प्रोपल्शन मॉड्यूल में एक पेलोड HAbitable है जो पृथ्वी का स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री है और यह चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी का अध्ययन करेगा l इसरो ने कहा कि पृथ्वी के SHAPE स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्रिक साइन का अध्ययन करने के लिए यह एक प्रायोगिक पेलोड है l SHAPE पेलोड के अलावा प्रोपल्शन मॉड्यूल का मुख्य काम लैंडर मॉड्यूल को लॉन्च वाहन इंजेक्शन कक्षा से लैंडर के अलग होने तक ले जाना है l चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद लैंडर मॉड्यूल में रंभा-एलपी (RAMBHA-LP) सहित मौजूद पेलोड निकट सतह के प्लाज्मा आयनों और इलेक्ट्रॉनों की डेंसिटी और उसके बदलावों को मापने के लिए हैं l ChaSTE Chandra थर्मो फिजिकल एक्सपेरीमेंट के लिए है l यह ध्रुवीय क्षेत्र के पास चंद्रमा की सतह की थर्मल प्रॉपर्टी की माप पूरी करेगा l जबकि, लैंडिंग स्थल के आसपास भूकंपीयता को मापने और लुनार क्रस्ट के स्ट्रक्चर को चित्रित भी करेगा l सॉफ्ट-लैंडिंग के बाद रोवर लैंडर मॉड्यूल से बाहर आएगा और अपने पेलोड APXS अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर के माध्यम से चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेगा, ताकि रासायनिक संरचना का पता लगाया जा सके और चंद्रमा की सतह की समझ को और बढ़ाने के लिए खनिज संरचना का अनुमान लगाया जा सके l

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